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Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Updated : शनिवार, 6 जून 2020 (16:00 IST)

14 दिन की होगी अमरनाथ यात्रा, श्रद्धालुओं की आयुसीमा तय

14 दिन की होगी अमरनाथ यात्रा, श्रद्धालुओं की आयुसीमा तय - amarnath yatra
जम्मू। कोरोना के कारण इस बार की अमरनाथ यात्रा मात्रा 14 दिनों की होगी। यह 21 जुलाई को शुरू हो कर 3 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा को समाप्त होगी। शिरकत करने वालों के लिए शर्तों का ढेर है। 14 साल से कम और 55 साल से अधिक आयु वालों को अनुमति नहीं होगी जबकि स्वास्थ्य प्रमाण पत्र के अतिरिक्त कोरोना टेस्ट करवाकर उसका प्रमाणपत्र भी संलग्न करना होगा। श्रद्धालु बालटाल मार्ग से यात्रा करेंगे, लेकिन कितनी संख्या में करेंगे फिलहाल इसके बारे में जानकारी नहीं है।
 
यह जानकारी श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के एक अधिकारी ने दी है। उन्होंने बताया कि पवित्र गुफा तक के मार्ग से बर्फ हटाने का काम शुरू हो गया है। उन्होंने बताया कि यात्रियों के पास कोरोना टेस्ट प्रमाणपत्र होना अनिवार्य होगा। यह प्रमाण-पत्र जम्मू कश्मीर में प्रवेश करने पर जांचे जाएंगे परंतु यात्रा शुरू करने की अनुमति देने से पहले वायरस के लिए क्रॉस-चेक भी किया जाएगा। इसके अलावा साधुओं को छोड़कर सभी तीर्थयात्रियों को यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करना होगा। कितने लोगों का पंजीकरण होगा, फिलहाल तय नहीं है।
 
बोर्ड बैठक में यह भी तय किया गया है कि कोरोना प्रकोप के कारण जो श्रद्धालु इस बार यात्रा पर आने से वंचित रह जाएंगे, उनके लिए भी व्यवस्था की गई है। 14 दिन की यात्रा अवधि के दौरान पवित्र गुफा में सुबह और शाम होने वाली विशेष आरती देश भर में लाइव टेलीकास्ट की जाएगी।
 
अधिकारियों ने कहा कि स्थानीय मजदूरों की कमी होने की वजह से बेस कैंप से गुफा तक ट्रैक बनाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। बोर्ड का पूरा प्रयास है कि 21 जुलाई से पहले बालटाल मार्ग को श्रद्धालुओं के लिए तैयार कर दिया जाए परंतु यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो बालटाल बेस कैंप से हेलीकॉप्टर का उपयोग करके श्रद्धालुओं को यात्रा करवाने की व्यवस्था की जाएगी।
 
इस बीच अधिकारियों के मुताबिक, बालटाल से पवित्र गुफा तक के मार्ग से बर्फ हटाकर उसे बहाल करने का काम शुरू हो गया है, जबकि दूसरे पहलगाम मार्ग का काम अभी शुरू नहीं हुआ है। जिला उपायुक्त गांदरबल शफकत अहमद ने कहा कि हमें उपराज्यपाल प्रशासन और श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की तरफ से यात्रा मार्ग को बहाल करने के लिए निर्देश मिला है। इसके बाद बालटाल से गुफा तक के मार्ग से बर्फ हटाने व उसे आवाजाही योग्य बनाने का काम शुरू किया गया है।
 
श्राइन बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि यात्रा मार्ग को बहाल करना ही काफी नहीं है। इस पूरे मार्ग पर श्रद्धालुओं के रहने, खाने-पीने, स्वास्थ्य सुविधाओं का भी प्रबंध किया जाना है। टेलीफोन सेवा को भी बहाल करना है। यह सभी सुविधाएं अगले एक पखवाड़े में बहाल नहीं की जा सकती। इनके लिए कम से कम एक माह का समय चाहिए। यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा भी एक बड़ा मुद्दा है। यात्रा का सुरक्षा कवच तैयार करने के लिए सुरक्षाबलों को कम से कम 20 दिन चाहिए होते हैं।
 
इधर, दरबार मूव पर पेंच : अमरनाथ यात्रा का मामला सुलझ गया है पर वार्षिक ‘दरबार मूव’ का पेंच अड़ गया है। दरअसल इस बार नागरिक सचिवालय जम्मू तथा श्रीनगर में दो जगहों से काम कर रहा है और कोरोना के बढ़ते खतरे के बाद सचिवालय कर्मी मांग कर रहे हैं कि जो जहां काम कर रहा है वहीं उसे काम करने दिया जाए। ऐसे में इस बार 15 जून को श्रीनगर में पूरा दरबार लगने की उम्मीद कम हो गई है।
 
जानकारी के लिए धारा 370 को हटा दिए जाने और जम्मू कश्मीर को दो टुकड़ों में बांटने की कवायद के बाद इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिए जाने के बाद भी दो राजधानियों का दस्तूर बरकरार है, जिसे दरबार मूव कहा जाता है। इसके तहत गर्मियों में नागरिक सचिवालय श्रीनगर चला जाता है और सर्दियों में जम्मू आ जाता है।
 
और अब कश्मीर संभाग में कोरोना संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए दरबार मूव पर 15 जून के बाद भी यथास्थिति बरकरार रहना तय माना जा रहा है। इस संबंध में उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू द्वारा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए फैसले लिए जाने की संभावना नजर आ रही है। इस संबंध में प्रदेश सरकार अगले सप्ताह कोई फैसला ले सकती है। उल्लेखनीय है कि साल 2020 के मई माह में दरबार जम्मू से श्रीनगर शिफ्ट नहीं हुआ था।
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