केंद्र की वर्तमान सरकार जब भी परिवर्तन के लिए नया क़ानून संवेधानिक तरीके से लाती हे,,विरोधी निकल पड़ते हे उसका विरोध करने,जनता के बीच झूठ फेलाया जाता हे..इस काम के लिए बाकायदा एक गेंग हे जो बस इंतज़ार ही करी रहती हे की कब मोदी कुछ भी लेकर आये वो साकार पर आये..चाहे मसला वकीलों का हो,,मजदूर का हो, विधार्ठियो का हो, किसानो का हो, मिहिलाओ का हो,व्यापारियों का हो, ग्राहकों का हो उन्हें तो बस सड़क पर उतर कर नेतागिरी करनी हे..और उनके इस काम में राजनतिक दल भी पीछे से भरपूर मदद करते हे..क्योकि उन सब की आखो का कांटा तो एक ही हे वो हे मोदी ? क्योकि मोदी ही हे जिसने इन सब को बेरोजगार कर दिया हे..इनकी बेचैनी का कारन ये भी हे की इन सब के भरपूर प्रयास के बाद भी आज भी मोदी की लोकप्रियता में कोई भी कमी नहीं आई हे.."" अग्निपथ" भी उसी विरोध की आग में जल रही हे..जिसमे पूरा विपक्ष पिचले आठ सालो से जल रहा हे...