ये जो नाटो नाम का तथाकथित देशो का समूह हे ये सिर्फ अपने अपने स्वार्थ देखने में और उनमें अपना लाभ देखने के लिए किसी भी देश को उकसा कर उसे युध्ह के मुहाने पर अकेला छोड़ कर भाग खड़े होते हे ? ये सभी हथियारों के निर्माता हे और अपने अपने हथियात तभी बेच पायेंगे जब विश्व में युध्ह हो, इसीलिए इन्होने रूस और उक्रेन को लडवा दिया और अब दूर खड़े होकर ताली बजा रहे हे .. हमामे देश के साथ रूस की दोस्ती समय की कसोटी पर हमेशा ही खरी उतारी हे,, याद कीजिये १९७१ का भारत पाकिस्तान का युध्ह जिसमे बंगला देश पाकिस्तान से अलग होने की ही कगार पर था तब उसद समय अमेरिका और इंग्लैंड में अपने जहाही बड़े हिन्द महा सागर में उतार दिया थे..रूस ही था जो हमारे बचाव में खड़ा हो गया,, अमेरिका और इंग्लैंड भाग खड़े हुए,,,आज अमेरिका तानाशाह विरूद्ध प्रजातंत्र की बात कर रहा हे,,उसका ये ढकोसला उस समय कहा गया थे जब ये ही येध्य्य में एक तरफ भारत प्रजातंत्र का सबसे बड़ा देश था दूसरी और पकिस्तान के एक तानाशाह काबिज था ,, अमेरिका अपनी दुर्गति अपने ही हाथो करवा चूका हे..आज वो अपना महाशक्ति का रुतबा खो चूका हे..वो विएतनाम से भागा , वो इरान से भागा हाल ही में वो अफगानिस्तान से भी भागा,, ऐसा भगोड़ा देश कैसे दुनिया की महाशक्ति हो सकता हर ?