हर एक संस्था की मर्यादाये होती हे,, उसमे वेशभूषा की भी एकरूपता होती हे,, समानता के लिए भी एक जैसी वेशभूषा पहली कसोटी होती हे,,, मेने तो ये देखा हे और समझा हे जब भी देश के किसी राज्य में चुनाव होता हे तभी कुछ इसी तरह का सगुफा छोड़ा जाता हे,,बिहार चुनावों के समय अखिलाख की हत्या को पूरी मुस्लिम सजाम की हत्या बताने बड़े बड़े स्व्भुले बिसरे तथाकथित बुध्हिजिवी ह्दहादे मार मार कर देश की अशुर्क्षित बता रहे थे, जब की देश में किसी न किसी कोने में इस तरह के हादसे हिन्दुओ के साथ भी हो जाया करते हे,,बंगाल और केरला में रोज ही ऐसे वाकये होते आये हे....उत्तर प्रदेश चुनाव हो जाने दीजिये ये हिजाब का मसला भी धीमा हो जाएगा...वैसे भी ये कोई मसला हे भी नहीं...