एशिया के हर देश में जहा भी क्रिकेट खेला जाता हे, उस देश में खेमेबाजी होती हे..चयन समिति, कप्तान,कोच, खिलाडी सभी के अपने अपने खेमे होते हे..हर खेमा इस बात पर आमादा होता हे की उसके पसंद के खिलाड़ी को टीम में रखा जाए..भारतीय क्रिकेट टीम में ये अवगुण बहुत पहले से रहे हे..पहले मुंबई के ही जयादातर खिलाड़ी हुआ करते थे..मुंबई- दिल्ली दो खेमो में टीम विभाजित हुआ करती थी....हाल में विश्व कप में भारत की हार के लिए कप्तान का खेमेबाजी में ही बटा होना रहा हे..रविंद्र जडेजा को आखिर किस वजह से मैचों में नहीं खिलाया गया ? जबकि वो कई बार अपनी उपयोगिता साबित कर चूका हे ??