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टिप्पणियां

akash rai

मौजूदा शासन प्रणाली में " एक देश एक चुनाव " की अनिवार्यता महसूस की जा रही है. इससे देश में बार - बार होने बाले चुनाव से छुटकारा मिलेगा, वही बढ़ती महगाई और फिजूलखर्ची से बचा जा सकेगा !
X REPORT ABUSE Date 27-06-19 (09:46 AM)

Pawan Kumar

दोस्तों संभव तो एक पुराण शब्द है, अगर इस देश के नेताओ के दिल्ली ीक्षा होती तो कब का नहीं लागू हो जाता या कर लेते, पर ये लोग नहीं होने देना चाहते है कियोंकि इन्हे कमाई के जरिया जो खत्म हो जायेगा ना, देश के जनता में एकता जो आने लगेंगे ना और ये इन्हे नागवार होता कियोंकि देश के नेता के पालिसी रहे है की फूट डालो और राज्य करो, आज तक संबिधान में जितने भी संसोधन हुआ है वो इस देश के गरीब लोगो के हिट कभी भी नहीं देश, ये जो संसद नेता लोग बैठे है वो अपने और अपने परिवार के हित देखकर ही बनाते है जो सारे फायदा इन्ही के घर में हो या जाये, इसीलिए दोस्तों देश के जनता जागरूक हो और देश के किसी भी विधान सभा या संसद भवन में जो भी कानून पास हो वो देश के गरीब जनता के हित में होना चाहिए ना की ये नेताओ के सुबिधा अनुसार, दोस्तों देश में छोटा मोटा पार्टी के भी जनता बहार कर देना चाहिए कियोंकि इससे बहुत से राज्य या देश के छोटे हिस्से में विकाश के नाम पर उस राज्य के जनता को सोसन किया जाता है और अपने मन मुताबिक उस राज्य को चलते है, अतः इस देश दो ही पहलवान हो तो पक्ष विपक्ष में बिभिन्ता देखा जायेगा और जनता के प्रति पालिसी बनाने में सुबिधा होगा.
X REPORT ABUSE Date 26-06-19 (11:05 AM)

sobi

बिलकुल संभव है
X REPORT ABUSE Date 23-06-19 (09:47 PM)

RAVI RANJAN

यह तो बिलकुल संभव है अगर विपक्षी पार्टियां इसका साथ दे तब. विपक्षी पार्टियों को देश से कोई लेना नहीं है उन्हें तो केवल कुर्सी पर जमे रहने से मतलब है. अलग अलग चुनाव से जनता पर टैक्स का बोझ बाद जाता है. मारी तो बेचारी जनता ही जाती है. एक तरफ हम स्पेस में काफी पैसा लगा रहे है, स्पेस मिशन पर भेज रहे है, पर यहाँ धरती पर त्राहिमाम मचा हुआ है. इस त्राहिमाम तो दूर करने के लिए कोई कानून या निति काम नहीं कर रही है. अमीर और अमीर और गरीब और गरीब होता जा रहा है. लेकिन जनता को तो सिर्फ टैक्स देना है. जब तक इस देश में एक देश एक चुनाव, जनसंख्या कानून, जैसे कठोर कानून नहीं बन जाता तब तक यु ही चलता रहेगा. लेकिन ये देश का दुर्भाग्य है की जब भी देश हित की बात होती है कुछ पार्टियां अपना स्वार्थ साधने लगती है. कठोर कानून के बिना अब कुछ नहीं हो सकता. हालात बेकाबू होते जा रही है. लोगो ने इस सरकार को वोट ही इसी लिए दिया है. क्योकि अभी नहीं तो फिर कभी नहीं.
X REPORT ABUSE Date 22-06-19 (06:55 AM)

hanumanjangid

क्‍यों नहीं। भिन्‍न-भिन्‍न समयों पर होने वाले चुनावों के कारण सरकारी मशीनरी बिना किसी कारण के सरकारी कार्य बाधित होजाते हैं और सरकारी मशीनरी चुनावों में फंस जाती है। प्रशासनिक कार्योंं में बाधा के कारण दिन-प्रतिदिन के आवश्‍यक कार्य नहीं हो पाते हैं। सारा दोष अधिकारियों पर ही मढ़ दिया जाता है जबकि इसके लिए नेता जिम्‍मेदार होते हैं। दो, एक देश एक चुनाव से चुनाव आयोग को भी आसानी होगी क्‍योंकि एक बार चुनाव संपन्‍न हो जाने के बाद बार-बार होने वाले चुनावों से मुक्ति मिलेगी। तीन, जनता को भी अपने मत का इस्‍तेमाल सही ढंग से करने का मौका मिलेगा। इससे मतदान प्रतिशत भी बढ़ेगा। बार-बार होने वाले चुनावों से जनता निराश हो जाती है और इस प्रक्रिया में भाग नहीं लेना चाहती है, इसकारण मतदान प्रतिशत गिर जाता है। बार-बार चुनाव होने से चुनाव मंहगा हो जाता है और सरकार और देश पर इसका भार पड़ता है। इस कारण मंहगाई बढ़ जाती है हनुमान जांगिड़ जयपुर राजस्थान
X REPORT ABUSE Date 21-06-19 (06:01 PM)

प्रशान्‍त गुप्‍ता

क्‍यों नहीं। भिन्‍न-भिन्‍न समयों पर होने वाले चुनावों के कारण सरकारी मशीनरी बिना किसी कारण के सरकारी कार्य बाधित होजाते हैं और सरकारी मशीनरी चुनावों में फंस जाती है। प्रशासनिक कार्योंं में बाधा के कारण दिन-प्रतिदिन के आवश्‍यक कार्य नहीं हो पाते हैं। सारा दोष अधिकारियों पर ही मढ़ दिया जाता है जबकि इसके लिए नेता जिम्‍मेदार होते हैं। दो, एक देश एक चुनाव से चुनाव आयोग को भी आसानी होगी क्‍योंकि एक बार चुनाव संपन्‍न हो जाने के बाद बार-बार होने वाले चुनावों से मुक्ति मिलेगी। तीन, जनता को भी अपने मत का इस्‍तेमाल सही ढंग से करने का मौका मिलेगा। इससे मतदान प्रतिशत भी बढ़ेगा। बार-बार होने वाले चुनावों से जनता निराश हो जाती है और इस प्रक्रिया में भाग नहीं लेना चाहती है, इसकारण मतदान प्रतिशत गिर जाता है। बार-बार चुनाव होने से चुनाव मंहगा हो जाता है और सरकार और देश पर इसका भार पड़ता है। इस कारण मंहगाई बढ़ जाती है। प्रशान्‍त गुप्‍ता
X REPORT ABUSE Date 21-06-19 (03:16 PM)

DBS SENGAR

होने को तो ये भी हो सकता हे, पर देश की राजनितिक पार्टी कभी भी सत्ता पक्ष के किसी भी जनहितकारी फैसले के साथ खड़ी नहीं होती हे..अब जब देश में विपक्ष बिखरा हुआ हे,, और कई प्रदेशो के तो प्रादेशिक पार्टिया ही सत्ता में हे..और वो वर्तमान सरकार के किसी भी निर्णय को स्वीकार करने को तैयार ही नहीं हे ऐसे में देशहित के इस निर्णय को भी विराम लगता तय हे..
X REPORT ABUSE Date 20-06-19 (01:56 PM)