दोस्तों संभव तो एक पुराण शब्द है, अगर इस देश के नेताओ के दिल्ली ीक्षा होती तो कब का नहीं लागू हो जाता या कर लेते, पर ये लोग नहीं होने देना चाहते है कियोंकि इन्हे कमाई के जरिया जो खत्म हो जायेगा ना, देश के जनता में एकता जो आने लगेंगे ना और ये इन्हे नागवार होता कियोंकि देश के नेता के पालिसी रहे है की फूट डालो और राज्य करो, आज तक संबिधान में जितने भी संसोधन हुआ है वो इस देश के गरीब लोगो के हिट कभी भी नहीं देश, ये जो संसद नेता लोग बैठे है वो अपने और अपने परिवार के हित देखकर ही बनाते है जो सारे फायदा इन्ही के घर में हो या जाये, इसीलिए दोस्तों देश के जनता जागरूक हो और देश के किसी भी विधान सभा या संसद भवन में जो भी कानून पास हो वो देश के गरीब जनता के हित में होना चाहिए ना की ये नेताओ के सुबिधा अनुसार, दोस्तों देश में छोटा मोटा पार्टी के भी जनता बहार कर देना चाहिए कियोंकि इससे बहुत से राज्य या देश के छोटे हिस्से में विकाश के नाम पर उस राज्य के जनता को सोसन किया जाता है और अपने मन मुताबिक उस राज्य को चलते है, अतः इस देश दो ही पहलवान हो तो पक्ष विपक्ष में बिभिन्ता देखा जायेगा और जनता के प्रति पालिसी बनाने में सुबिधा होगा.