मुझे महाभारत मे सभी पात्र पसंद है! भगवन श्री कृष्णा के बाद अगर मुझे सबसे अच्छा कोई पात्र लगता है तो वो है दानवीर कर्ण वो इसलिए की उसका नाम ही मुझे मिला है.
वैसे वो बेचारा कभी कुछ गलत नहीं करना चाहता था मगर संगत उसे ले डूबी इसलिए कहते है कि हमेशा संगत सही लोगों कि करो क्यों कि अंत समय मे संगत ही हमें रास्ते पार करवाती है या डुबाती है !
उसे सिर्फ अपने लिए एक मौका चाहिये था लोगों को ये दिखाने कि सिर्फ जाति ही किसी गुण का आधार नहीं हो सकती ! सच मे उस वक़्त एक वो ही मनुष्य था जो जातिवाद से झूझ रहा था ! राजकुमारों को सभी मौके आराम से मिल जाते थे मगर दूसरी जातियों के लोगों को सम्मान अवसर नहीं दिए जाते थे !
वो शुरू से ही समाज से इस कुरीति को खतम करना चाहता था शायद सिर्फ अपने लिए मगर करना चाहता था !
अर्जुन के पास स्वतः ही मौके आये मगर कर्ण ने उन मौकों को खुद कमाया !
दूसरी और सब से जरुरी बात पांच पड़ावों मे पांच अलग अलग गुण थे मगर उनके सबसे बड़े भाई मे वो समस्त गुण थे जो उन सभी भाइयों मे थे और इसके बाद भी उसके पास एक अधिक गुण और था उसके पास!
युधिस्टर - सत्यवादी था तो कर्ण ने कभी झूठ नहीं बोला अपने जीवन काल मे !
भीम - १०० हाथियों का बल था मगर कर्ण से कभी मल युद्ध मे जीत नहीं सका !
अर्जुन- उच्च स्तरीय धनुधारी था किन्तु कर्ण को कभी हरा नहीं सका उसको मारा भी तो धोखे से !
नकुल - उच्च स्तरीय तलवार बाज़ था किन्तु कर्ण के सामने अधिक समय तक टिक नहीं सका !
सहदेव - भविस्य को महसूस कर लेता था ! कर्ण जनता था कि कुंती या इंद्रा या कृष्ण उस से उसके कवच कुण्डल मांगने आएंगे !
इन सभी गुण के अलावा कर्ण दानवीर था , वो मित्र वर था , चाहता तो दुर्योधन से मना कर देता युद्ध करने से क्यों कि उसे पता था कि दुर्योधन गलत कर रहा है फिर भी उसके लिए लड़ा!
ये मेरे विचार है कोई इनसे सहमत नहीं हो तो अपना मत दे सकता है!