देश की सबसे बड़ी,,देश की सबसे बुजुर्ग राजनितिक पार्टी के दुर्दिन तो देखिये आज देश के किसी भी राज्य में अकेले अपने दम पर चुनाव जीतने की हिम्मत खो बैठी हे..उसका जनाधार आज सिमट कर सिर्फ कुछ ही पहाड़ी राज्यों में रह गया हे..ऐसी बात नहीं हे की कांग्रेस में कांग्रेस को नेत्तृव देने के लिए कोई योग्य नेता नहीं बचा हे ? पर कांग्रेस की लाचारी,,मजबूरी सिर्फ ये हे की उन्हें इस नेहरू गांधी परिवार से इतर कुछ दिखाई ही नहीं देता हे ? जब की एक नहीं कई बार ये साबित हो चूका हे की राहूल में नेता जैसे एक भी गुण नहीं हे ? वो नेता नहीं सिर्फ हास्य अभिनेता से ज्यादा कुछ भी नहीं हे ? राहूल की मंदबुद्धि का आलम ये हे की वो ये भी नहीं जानता की देश में नेशनल कैडेट कोरे नाम भी कोई संश्ता हे ? में तो कई सालो से हर कांग्रेसी से ये सवाल पूछ पूछ कर थक गया हु की भाइये मुझे राहूल को कोई एक विशेषता बता दीजिये कोई एक सिर्फ एक पर आज तक हां हां अभी तक कोई भी मई का लाल मुझे उसकी एक भी विशेषता नहीं बता पाया हे ? तो क्या हम सिर्फ इसलिए उसे प्रधान मंत्री पद पर बैठा दे की वो राजिव सोनिया की औलाद हे ? क्या ये प्रजातंत्र के नाम पर राजशाही नहीं होगी ?