राजनितिक कर तो हमेसा होते है पर दलितों के साथ जो अन्याय सुप्रीम कोर्ट ने किया है वो निंदनीय है......जो लोग सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को सही ठहरा रहे है जरा अपने दिल से पूछे की क्या आज भी दलितो को सामाजिक समानता मिल गई है...?
छोटी मोती घटनाओ को छोड़ ही दिया जय बस निचे लिखे सब्दो को गूगल कर के देखे तो पता चलेगा की आज भी वही हालत है जो पहले थी...
- मिर्चपुर , हिसार
- गोहाना , सोनीपत
-बथानी टोला नरसंहार , बिहार
- लक्मणपुर बैठे कार्नेज , बिहार
- बाँट सिंह , पंजाब
- खैरलांजी नरसंहार महाराष्ट्र
- डांगावास , राजस्थान
- त्सुन्दूर नरसंहार, आंध्र प्रदेश
- किल्वेमनी मस्साक्रे , तमिल नाडु
- सुनपेड़ , फरीदाबाद
- फॅमिली स्त्रिप्पेद नेकेड , दनकौर
- सहारनपुर
-भीमकोरेगॉन
खुद ही तय करे की भाजपा की निति सही है...क्या अब दलितों को इस कानून की जरुरत नहीं है...? सुमपिमे कोर्ट के नए कानून से क्या उनपर अत्याचार रुक जायेगा या और बढ़ जायेगा....?