धर्म,वो हे जो आदमी को सही रास्ता दिखाता हे.धर्म वो हे जो आदमी को अनीति से दूर् करता हे.धर्म जीवन दर्शन हे..धर्म अन्धेरे में रोशनी हे.धर्म भटकाव में रास्ता दिखाता हे..बिना धर्म के आदमी पूर्ण हो ही नही सकता..कुछ लोग हे जो अपने को नास्तिक कहते हे..पर अगर देखा जाये तो उनकी भी अश्था किसी ना किसी से जुड़ी होती हे..इसी अश्था को धर्म कहा जाता हे..रही बात सिह्श्थ जैसे विशाल आयोजनो का तो ये अनादि काल से चले आ रहे हे..और अनादि काल तक चलते रहेंगे..ये धर्म का विषय हे ये आस्था का मामला हे.जब दूर दूर से धर्मलम्भि एक जगह आते हे तो धर्म कि व्यापकता का भान होता हे..और ये ही धर्म को जीवित भी रखते हे..सिहस्थ ही नही देश के इस तरह के छोटे मोटे आयोजन भी धर्म को फैलने में सहायक होते हे..देश पर कई आकंताओ ने हमले कि धर्म को मिटाने पर धर्म अडिग रहा वो मिट गए आज उनका नाम लेवा धरती पर नही हे और धर्म के अनुयाए पुरे विश्व में फैले हे..ये हे धर्म कि ताकत..ये हे धर्म का पराभव..