हमे ऐसा लगता है की ना तो हम हिन्दुस्तानियो ना ही हिंदुस्तान की सरकार हिंदी के बारे में कुछ ज्यादा करने की जरुरत समझी,
आज हम हिंदी के बारे में जो चर्चा कर रहे है, इस चर्चा की क्या जरुरत थी ?
जिस देश की राष्ट्र भासा हिंदी हो उस देश में किसी भी संस्थान का कार्य हिंदी में नहीं किया जाता, हमारे देश के लोग अपने बच्चे को अंग्रेजी बोलते देख कर खुश होते है, लकिन उन्हें यह मालूम ही नहीं की उनका बच्चा अपनी ही धरोहर से बंचित होता चला जा रहा है, आज आप जिस भी द़फ्तर में साक्षात्कार के लिए जाएँ वहा आप से हर बात अंग्रेजी में किया जाता है, अगर हमारी पाठ्यक्रम हिन्दी में हो जाएँ तो हमे ऐसा लगता है बहुत कुछ बदल जाएगा, मैं ऐसा नहीं कहता कि अंग्रेजी को पाठ्यक्रम से बाहर किया जाएँ,