ये वो अधिकारी करते है जो अपने कार्यकाल के दौरान या तो अछा काम नही करते या तो नेता लोगो के माखन बाज़ी करते है, आज तक के हिसाब देखे तो जो ईमानदार अधिकारी होते है उसे या तो अपने नौकरी के दौरान ट्रांसफर होते है कि वो ओर उसेक परिवार उस दौरान परेशानी ही झेलते रहते हैं, जैसे अशोक खेम्का, जोगिंदेर सिंह, ओर भी होगे, एक आम आद्मि अपने जिंद्गि मै अपने बचे तक को अछा से नही परवरिश कर पते है पैर ये अधिकरि तो इसि दौरान तीन पुस्तो तक के जोर का र रख देते हैं तो इस देश का भला कैसे होगा, उसके बाद भी इस तरहके किताब या कहानी बीचकर लोगो के बेब्कुफबनाते है इस पैर तो पुरी तरह से बंदकर दिया जाना चाहिए