मुझे भारतीय क्रिकेट टीम के हारने पर उतना दुःख नही होता जितना टी.वी. पर बहस करते, खेल कि बखिया उधेदते दिखाया जाता हे, उनमें कांबली, प्रभाकर, चेतन चौहान,बिशंसिंघ बेदी, ऐसी डींगे हाँकते हे जैसे इन्होंने हमेशा ही देश कि टीम को जीत दिलवाई हो? खैर में तो ऐसे कार्यक्रम देखता ही नही हूँ और आप सब से भी अनुरोध करता हूँ कि कृपया इस तरह के टी.वी. चैनल्स का बहिस्कार करे...