हर भारतीय कि तरह में भी अपने देश कि क्रिकेट टीम को 2015 में फिर से विश्वचैंपियन बनते देखना चाहूँगा,""पर"" ये खेल इस बार उस धरती पर खेला जाना हे जहां कि पिच कभी भी भारतीय महदीप कि टीमों के लिए आसान नही रही हे, वहा कि उछाल भरि पिचों पर खड़े रहना ही दूभर होता हे ऐसे में फिर सीमित ओवरो का खेल तो और ज्यादा कठिन बन जाता हे,वैसे संतोष कि बात ये भी हे कि हमने इन्हे पिचों पर कई मुकाबले जीते भी हे,पर इस बार ''डगर'' उतनी आसान नही हे जितनी पिछली प्रितियोगिता में थी, धोनी कि टीम को फिर भी ''शुभ्काम्नाये"