लोकसभा और विधानसभाओं में अराजक स्थिति के लिए देश की जनता जिम्मेदार है, जो सच्चे, ईमानदार एवं धैर्यवान प्रतिनिधि का चुनाव नही कर पाती है क्योंकि लोकतंत्र में देश की असली मालिक देश की जनता ही होती है जो किसी व्यक्ति को राजनेता बनाती है | राजनेता तो वास्तव में जनता के सेवक होते हैं और सेवकों को अपने नियंत्रण में एवं उनकी लगाम कसकर रखना मालिक की ही ज़िम्मेदारी होती है | यदि चुनाव के समय देश की जनता वोट देने के लिए अपने घर से बाहर नही निकलेगी और राजनेता का चुनाव होने के बाद उसे पाँच साल तक कोसने की जो परम्परा बन गई है, उसका अंजाम लोकसभा और विधानसभाओं में अराजक स्थिति के रुप में ही सामने आयेगा |