क्या जरूरी हे कि केन्द्र सरकर हर उस फैसले में अपनी सहमति या असहमति प्रद्शित करे जो देश कि सुप्रीम कॉर्ट ने दिया हे/एक तरफ़ तो हम कहते हे हमे देश के कानून पर पूरा भरोशा हे और दूसरी और हम उसकी मुखालफत में लग जाते हे, अच्छा हो नायाल्या को उसका काम करने दिया जाए/