जिस बड़ी रकम का इन्होंने गोलमाल किया था उसके सामने ये सजा कुछ भी नही हे,कॉर्ट को इनकी समस्त सम्पति राज्सात करने आदेश कि देना था,लालु जैसे नेता सिर्फ़ जात बिरादरी कि राजनीति करते हे,और उनकी स्वकरिता सिर्फ़ यादव वोटों तक ही थी, कुछ समय के लिए मीडिया ने उन्हें मेनेग्मेंट गुरु कि उपाधि भी दे डाली, जबकि रैलवे के लिए उन्होंने ऐसा कोई काम भी नही किया था, सिर्फ़ किराया नही बदाने को महा मंडित किया गया जिसका खामियाजा रेलवे आज भुगत रही हे,मेरी नजर में तो इस देश में एक ही श्रेस्थ रेल मंत्री हुए हे वो थे श्री लाल बहादुर जी, जिन्होंने सिर्फ़ एक रेल दुर्घटना पर अपने पद पर रहने से इनकार कर दिया था,