- फ़िल्म गंगाजल तक झा साहब एक सुलझे हुए निर्देशक हुआ करते थे, जब से वे बड़ी स्टार-कास्ट कि फिल्में करने लगे लगता उलझ से गए है, स्क्रिप्ट कि खामियों से समझौता कराने लगे है, वास्तविकताएँ ग्लमराइज् हो गयी है, कोरि भावुकटाई हावी होने लगी है, राजनीति, आर्क्षण, इसके उदाहरण है, ?