देश कि अधिकांश राजनीतिक दलों में सिर्फ़ एक सक्श को ही पार्टी माना जाता हे,उसी के आदेश को सर्व्मान्य माना जाता हे,इसके विपरीत भारतीय जनता पार्टी में ऐसा नही हे, एक पोस्टर लगाने वाला सामन्य कार्यकर्ता 'पार्टी अध्यक्ष बन सकता हे, जबकि दूसरी पार्टी में ये अम्भव हे,इसलिए मोदी जी के मामले में भी पक्ष और विरोध के स्वर सुनाई दे रहे हे, जो एक "जिंदा'" पार्टी के सबूत हे,हम पहले भी देख् चुके हे उन दलों में लोग तब तक ही रहे तब तक सत्ता थी सता खत्म इनकी वफादारी खत्म,जबकि भारतीय जनता पार्टी में ऐसा नही हे,और भारतीय जनता पार्टी के विरोधी इन सब बातों से खुश हो रहे हे तो वे लोग सिर्फ़ '' बंधुवा मजदूर'" से ज्यादा अपनी औकात भी नही रखते