मन मोहन जी इतने अधीर क्यू हो रहे हे,थोड़ा इंतज़ार कर लेते,अभी ज्यादा समय नही हुआ कि एक बेगुनाहा भारतीय का शव उन्होंने हमे तोहफे में भेजा था.वो तो भला हो एक पूर्व सैनिक का कि उसने प्रितिउत्तर देने में देर नही की,जो कम सरकार को करना था उस जांबाज़ ने कर दिखाया,क्योकि हमारी सरकार तो हमेशा उनकी आव् भगत में ज्यादा लगी रहती हे, जिस देश कि बुनियाद ही हिंदुस्तान कि नफरत पर रखी हो उस् देश से आप 'दोस्ती' का सपना सँजोये बैठे हे,हम् जैसा नादान दुनिया का और कोई दूसरा देश हो ही नही सकता,जबकि कई नर संहार के अपराधी पाकिस्तान में पनाह लिए हुए हे उस बारे में पाकिस्तान को बताने में हमारी गिग्घि बँध जाती हे,मन मोहन जी दोस्ती के लिए जरूरी हे दोनों और से दोस्ती कि चाहत दोस्ती कभी भी एक तरफा नही हो सकती,