जब इन्हे कोई उद्योगपति भारी भरकम रकम देकर इन्हे खरीदता हे तो खिलाड़ियों का दयित्य हो जाता हे कि वो जीत दर्ज करे, इसके लिए उन्हें चाहे विपक्षी खिलाड़ी से अमर्यादित्य व्यवहार करना पड़े तो भी ये नही चुकते,मेने तो इस आयोजन में देखा हे कि देश के लिए खेलते समय ये खिलाड़ी उस आक्रामकता से नही खेलते जैसे वो आई.पी.एल में खेलते हे,गौतम गंभीर में गंभीरता का अभाव हे,यों पहले अफरीदी से भी भीड़ चुके हे, इसी आयोजन में विराट,और द्रिविड से भी वो वाक्य युद्ध कर चुके हे.इस तरह कि हरकतें एक राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी को सोभा नही देती,उन्हें भी अपने व्यवहार में गंभीरता लाना होगा तभी वो आगे तक जां पायेगे.और खेल को जंग ना मान कर खेल कि तरह खेलना होगा.