- शर्म कि बात तो इस देश के नेताओं, धर्म के ठेकेदारों और लाचार कानून- व्यवस्थाके के रखवालों लिए होनी चाहिए, जब देश का अंदरूनी दबाव के आगे भी व्यवस्था-परिवर्तन के लिए तैयार नही है, और कोई हलचल भी नजर नही आ रही हो, शायद ये बाहरी- दबाव काम कर जाए, वैसे उम्मीद कं ही है, क्योकि वर्तमान व्यवस्था इनके लिए फ़ायदेमंद है, और इनकी बेशर्मी कि हद भी नही है.