किसी भी इंसान, चाहे वह अपराधी/आतंकी ही क्यों न हो, के देहावसान पर जश्न मनाना या राजनीति करना मानवता के प्रतिकूल है | ज्यादा अच्छा होता यदि वह अपराध में लिप्त नही होता और बिना सज़ा पाये इस समय हमारे बीच जीवित होता, लेकिन ईश्वर ने उसकी बुद्धी भ्रष्ट कर दी और वह अपराध में लिप्त होकर मृत्युदंड का पात्र बना, लेकिन हम लोगो, जो अपराधियों/आतंकियों की तुलना में अपने आपको श्रेष्ठ मानते हैं, को कम से कम मानवता के नाते किसी इंसान की मृत्यु का जश्न मनाये बिना न केवल मृतक की आत्मा की शान्ति के लिए, बल्कि विद्यमान अपराधियों/आतंकियों को हिंसा से दूर् रहकर सद्बुद्धी देने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिये |