आशीष नंदी के बयान से पुरी तरह सहमत नही हुआ जा सकता हे,क्योकि पहले समाज को बाँटने का काम अपने फायदे के लिए नेता किया करते हे अब साहित्यकार भी इसमे सामिल हो गए,अभी पिछले दिनों गृह मंत्री ने एक बयान दिया था उस पर बखेड़ा खड़ा हो गया था तब एक जहरीले नेताजी ने कहा था कि 'ये लोग देश में एक दलित को गृह मंत्री नही देखना चाहते'अब आप ही बताइये कि आशीष नंदी का बयान ज्यादा निंदनीय हे या उन महाश्य नेताजी का.