दामिनी की लडाई को आगे बढाने के लिए महिला संगठनों, मीडिया एवं तथाकथित प्रदर्शनकारियों को अपनी लडाई कि दिशा को सरकार एवं पुलिस की बजाय समाज की ओर मोडनी होगी तभी अपराधों पर रोक लगाना संभव होगा | आज हमारे समाज में लोग दोहरा चरित्र जी रहे है, जिसमें एक तरफ़ तो महिलाओं के सम्मान की बात की जा रही है और दूसरी ओर टी.वी., इंटरनेट, फिल्में जैसे अनेक संचार माध्यम समाज के सामने औरत की जो तस्वीर पेश कर रहे हैं, उसमें उसे सिर्फ़ भोग्या एवं मनोरंजन की वस्तु के रुप में ही दिखाया जां रहा है | समाज में नैतिकता एवं उच्च मानवीय आदर्शों का भी दिन-प्रतिदिन अवमूल्यन हो रहा है | इन परिस्थितियों में सिर्फ़ मृत्युदंड का भय दिखाकर इस तरह की घटनाओं को रोकना संभव नही है | समाज में उच्च नैतिक मूल्यों एवं आदर्शों की स्थापना करके ही अपराधों पर अंकुश लगाया जा सकता है । मुझे लगता है कि पुलिस के डंडों की बजाय हमारे परिजन अपने बच्चों, जिनमें लडके एवं लडकियां दोनों शामिल हैं, को समझायेंगे तो इसका असर अच्छा होगा |