इन्होंने रुपये का इतना अवमूल्यन कर दिया हे कि अब सड़क पर खड़ा हुआ भिखारी भी इसे लेने से मना कर देता हे,पहले हर सनिवार सुबह को कुछ बच्चे सनी महाराज लेकर अपना रोजगार करते थे अब वो बच्चे भी दिखाई देते.कहते हे लोग एक रुपये से ज्यादा नही देते और एक एक रुपये से ज्यादा से ज्यादा पचास रुपये होते हे इन 50 रुपये से कुछ नही होता,फिर ये दिल्ली कि मुख्मंत्रि कैसे कहती हे कि एक दिन के लिए एक व्यक्ति के लिए 4 रुपये पर्याप्त हे,क्या वो देश के रुपये कि कीमत नही जानती या सिर्फ़ अपने अध्यक्ष को खुश करने के लिए गरीबों का मजाक उड़ा रही हे,शर्म आती हे ऐसे नेताओं पर.