हमारा मीडिया एकपक्षीय एवं गैर जिम्मेदार तरीके से अकसर किसी भी मुद्दे, कई बार निहित स्वार्थों से प्रेरित होकर भी, को उठाता है एवं उसे सनसनीखेज बनाने के लिए स्वयं ही उसका विश्लेषण/ज़ांच करता है और खुद ही निर्णय लेकर किसी को अपराधी घोषित कर देता है या उसकी इतनी छीछालेदर कर देता है कि समाज में वह् मुंह दिखाने लायक नही रह जाता है | इस स्थिति में सुधार की संभावना तलाशी जानी चाहिये | इसलिये मीडिया को भी बदलती परिस्थितियों में स्वयं ही आत्मचिंतन करके इसे और अधिक जनोन्मुख और जिम्मेदार न सिर्फ़ बनाया जाए बल्कि जनता को महसूस भी हो कि हमारा मीडिया सिर्फ़ सनसनीखेज ही नही, बल्कि जिम्मेदार एवं जनोन्मुख भी है |