महोदय,
भगवान श्रीकृष्ण के छल का लेख पढ़ा ! यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस देशमें सर्वं शक्तिमान ईश्वर ने मानव मात्र को जीवनसफलता का चिरंतनकालीन मंत्र दिया, उसी देशके लोग उन्हे समझने में नाकाम रहे. एक ओर तो उनके चरित्र को पौराणिक जामा पहनाकर बौद्धिक आकलनसे दूर् कर दिया वहीं दूसरी ओर जीवन के सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, भावनिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जैसे महत्वपूर्ण पहलुओंको साथ रख कर उनकेजीवन का सर्वांगीण आकलन हुआ ही नही. विश्वमे उनके जैसा अनूठा एवं आकर्षक व्यक्तित्व हुआही नहीं और इसी वजहसे उनके विषयमें भारत और विश्वके लेखक और महान व्यक्ति, लिखे बग़ैर रह नहीं सके. आज जब विश्व अनेकानेक समस्याओंसे जूझ रहा है उस समय इस महामानव एवं मानवताके श्रेष्ठ मार्गदर्शक और महान उद्धारक के चरित्र का सही आकलन और अनुकरण मानव मात्र के लिए आवश्यकही नहीं अपितु अपरिहार्य भी है. अस्तु.