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Written By रवि भोई
Last Updated :रायपुर , बुधवार, 1 अक्टूबर 2014 (19:52 IST)

छत्तीसगढ़ में संघ, विहिप ने संभाला मोर्चा

छत्तीसगढ़ में संघ, विहिप ने संभाला मोर्चा -
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छत्तीसगढ़ में भाजपा व उसके सहयोगी संगठनों ने 19 नवंबर को मतदान वाले 72 सीटों पर जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। संघ, विहिप व वनवासी कल्याण आश्रम जैसी संस्थाएं राज्य में तीसरी बार भाजपा की सरकार बनाने के लिए मतदाताओं तक पहुंचना शुरू कर दिया है और कार्यकर्ताओं की बैठक लेकर रणनीति बनाना भी प्रारंभ कर दिया है।

पहले चरण के मतदान के बाद बस्तर इलाके व राजनांदगांव जिले में सीटें कम होने के संकेत के बाद विहिप व संघ पदाधिकारी-कार्यकर्ताओं ने मोर्चा संभाल लिया है। दूसरे चरण में भाजपा के कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। कई दिग्गज अपने-अपने इलाकों में बंध गए हैं। ऐसे में मुश्किलें ज्यादा आ रही हैं।

भाजपा के तेजतर्रार मंत्री बृजमोहन अग्रवाल अपने विधानसभा क्षेत्र रायपुर दक्षिण में बंध गए हैं। वे अपने क्षेत्र को छोड़कर दूसरे सीटों पर नहीं जा पा रहे हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रामसेवक पैकरा व वरिष्ठ मंत्री अमर अग्रवाल भी अपने क्षेत्र से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक भी अपने क्षेत्र तक सीमित हैं।

महिला मोर्चे की राष्ट्रीय अध्यक्ष सरोज पांडे दुर्ग जिले से बाहर नहीं निकल पा रही हैं। मुख्यमंत्री डॉ. रमनसिंह पहले चरण का मतदान निपटने के बाद ही अपना विधानसभा क्षेत्र से बाहर निकल पाए हैं। मुख्‍यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र राजनांदगांव में 11 नवंबर को मतदान हो चुका है। अब प्रादेशिक नेताओं में प्रचार की पूरी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री पर है।

राज्य के नेताओं के प्रचार में नहीं निकल पाने के कारण छत्तीसगढ़ में राद्गट्रीय नेताओं का जमावड़ा हो गया है। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी दो दिन रायपुर में रहकर सभाएं लीं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथसिंह, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष श्रीमती सुषमा स्वराज, राज्यसभा में पार्टी के नेता अरुण जेटली आदि सभाएं लेकर जा चुके हैं। इसके साथ ही पिछले दो दिनों से संघ व विहिप के कुछ नेता छत्तीसगढ़ में डेरा जमा लिया है। कहा जा रहा है कि सबसे ज्यादा लोग कवर्धा सीट में लगे हैं। कवर्धा मुख्यमंत्री का गृह नगर है।

बताया जा रहा है कि बस्तर इलाके में भाजपा की सीटें घटने के कयास के बाद संघ व विहिप ने कमान संभाल ली है। 2008 में बस्तर इलाके की 12 में से 11 सीटें भाजपा जीती थीं। इस बार कुछ सीटें घटने की संभावना है। ऐसी स्थिति राजनांदगांव इलाके में है। यहां भी इस बार भाजपा को नुकसानहोने का अंदेशा है।