शनिवार, 20 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. बुद्ध जयंती
  4. boudhh dharm
Written By

हमें यथार्थ में जीने की शिक्षा देता है बौद्ध दर्शन, पढ़ें 3 मूल सिद्धांत

हमें यथार्थ में जीने की शिक्षा देता है बौद्ध दर्शन, पढ़ें 3 मूल सिद्धांत। boudhh dharm - boudhh dharm
- अनिरुद्ध जोशी 'शतायु' 
 
बौद्ध दर्शन तीन मूल सिद्धांत पर आधारित माना गया है : - 
 
1.अनीश्वरवाद 
2.अनात्मवाद 
3.क्षणिकवाद। यह दर्शन पूरी तरह से यथार्थ में जीने की शिक्षा देता है।
 
1. अनीश्वरवाद : बुद्ध ईश्वर की सत्ता नहीं मानते क्योंकि दुनिया प्रतीत्यसमुत्पाद के नियम पर चलती है। प्रतीत्यसमुत्पाद अर्थात कारण-कार्य की श्रृंखला। इस श्रृंखला के कई चक्र हैं जिन्हें बारह अंगों में बांटा गया है। अत: इस ब्रह्मांड को कोई चलाने वाला नहीं है। न ही कोई उत्पत्तिकर्ता, क्योंकि उत्पत्ति कहने से अंत का भान होता है। तब न कोई प्रारंभ है और न अंत।
 
2. अनात्मवाद : अनात्मवाद का यह मतलब नहीं कि सच में ही 'आत्मा' नहीं है। जिसे लोग आत्मा समझते हैं, वो चेतना का अविच्छिन्न प्रवाह है। यह प्रवाह कभी भी बिखरकर जड़ से बद्ध हो सकता है और कभी भी अंधकार में लीन हो सकता है।
 
स्वयं के होने को जाने बगैर आत्मवान नहीं हुआ जा सकता। निर्वाण की अवस्था में ही स्वयं को जाना जा सकता है। मरने के बाद आत्मा महा सुसुप्ति में खो जाती है। वह अनंतकाल तक अंधकार में पड़ी रह सकती है या तक्षण ही दूसरा जन्म लेकर संसार के चक्र में फिर से शामिल हो सकती है। अत: आत्मा तब तक आत्मा नहीं जब तक कि बुद्धत्व घटित न हो। अत: जो जानकार हैं वे ही स्वयं के होने को पुख्ता करने के प्रति चिंतित हैं।
 
3. क्षणिकवाद : इस ब्रह्मांड में सब कुछ क्षणिक और नश्वर है। कुछ भी स्थायी नहीं। सब कुछ परिवर्तनशील है। यह शरीर और ब्रह्मांड उसी तरह है जैसे कि घोड़े, पहिए और पालकी के संगठित रूप को रथ कहते हैं और इन्हें अलग करने से रथ का अस्तित्व नहीं माना जा सकता।
 
उक्त तीन सिद्धांत पर आधारित ही बौद्ध दर्शन की रचना हुई। इन तीन सिद्धांतों पर आगे चलकर थेरवाद, वैभाषिक, सौत्रान्त्रिक, माध्यमिक (शून्यवाद), योगाचार (विज्ञानवाद) और स्वतंत्र योगाचार का दर्शन गढ़ा गया। इस तरह बौद्ध धर्म के दो प्रमुख सम्प्रदायों के कुल छह उपसम्प्रदाय बने। इन सबका केंद्रीय दर्शन रहा प्रतीत्यसमुत्पाद।

ये भी पढ़ें
चंद्रमा : समय का चमकता और घटता-बढ़ता राजा