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Written By समय ताम्रकर

हीरो : फिल्म समीक्षा

हीरो : फिल्म समीक्षा - Film Review Hero 2015 Salman Khan Samay Tamrakar
क्या सुभाष घई की 1983 में रिलीज हुई 'हीरो' इतनी महान फिल्म है कि इसका रिमेक बनाया जाए? एक आम कहानी पर आधारित फिल्म तब  दमदार संगीत और अच्छे प्रस्तुतिकरण के कारण सफल हो गई थी। पिछले 32 वर्षों के दौरान इस तरह की कहानी पर इतनी सारी फिल्में रिलीज हो गई हैं कि 2015 में रिलीज 'हीरो' की कहानी थकी हुई लगती है। इस‍ लिहाज से 'हीरो' का रिमेक बनाना ही गलत निर्णय है। 
 
'हीरो' जब रिलीज हुई थी तब सलमान खान लगभग 18 वर्ष के होंगे और शायद उन्हें 'हीरो' बेहद पसंद आई होगी। तब से वे इस तरह की फिल्म करने की इच्छा दिल में पाले हुए होंगे। मेंटर बन उन्होंने अपने सपने को पूरा किया है, लेकिन अब 'हीरो' जैसी फिल्मों का जमाना लद चुका है। 
 
सूरज (सूरज पंचोली) एक गुंडा है। वह पाशा (आदित्य पंचोली) के लिए काम करता है। पाशा का आईजी (तिग्मांशु धुलिया) से विवाद चल रहा है। आईजी को सबके सिखाने के लिए पाशा, सूरज को आईजी की बेटी राधा (अथिया शेट्टी) के अपहरण का जिम्मा सौंपता है। राधा के सामने पुलिस वाला बन सूरज जाता है। वह राधा से कहता है कि उसकी जान को खतरा है और आईजी के निर्देश पर उसे दूसरे शहर ले जाना पड़ेगा। सूरज और उसके साथियों के साथ राधा कुछ दिन गुजारती है। राधा और सूरज नजदीक आ जाते हैं।  
 
जब राधा को पता चलता है कि सूरज ने उसका अपहरण किया है तो राधा का दिल टूटता है, लेकिन सूरज उससे दादागिरी छोड़ने का वादा करता है। सूरज को दो वर्ष की सजा हो जाती है और राधा फ्रांस पढ़ने के लिए चली जाती है। राधा के पिता, सूरज और राधा की शादी के खिलाफ हैं। वे किसी और से राधा की शादी नहीं कर दे इसलिए राधा का भाई उन्हें बताता है कि फ्रांस में राधा और रणविजय में नजदीकियां बढ़ रही है, लेकिन इस बात में रत्ती भर सच्चाई नहीं है। 
सूरज जेल से छूटता है और राधा उसे लेने के लिए आती है। इसी बीच रणविजय और राधा की झूठी कहानी में तब ट्विस्ट आता है जब सचमुच में रणविजय की एंट्री होती है। राधा के पिता को पता चलता है तो वे बेहद नाराज होते हैं। किस तरह सारी गुत्थियां सुलझती है? क्या राधा-सूरज एक हो पाते हैं? इनके जवाब फिल्म में मिलते हैं। 

 
सुभाष घई द्वारा लिखी गई कहानी को थोड़े बदलाव के साथ निखिल आडवाणी ने उमेश बिष्ट के साथ मिलकर लिखा है। स्क्रीनप्ले कुछ इस तरह लिखा गया है कि फिल्म सूरज और अथिया का शोकेस बन कर रह गई है। अन्य बातों की उपेक्षा की गई है। फिल्म में डिटेल्स पर बिलकुल भी ध्यान नहीं दिया गया है। क्या हो रहा है, क्यों हो रहा है, ये प्रश्न फिल्म देखते समय लगातार दिमाग में कौंधते रहते हैं। 
 
सूरज गुंडा क्यों है, इसका जवाब नहीं मिलता। आईजी की बेटी का अपहरण, सूरज-राधा में प्यार, सूरज का जिम खोलना इतनी आसानी से हो जाता है कि आश्चर्य होता है। रणविजय वाला ट्रेक निहायत ही बेहूदा है और महज फिल्म की लम्बाई बढ़ाता है। 
 
एक दृश्य का दूसरे दृश्य से तालमेल नहीं है। सूरज और अथिया द्वारा शो पेश करना सिर्फ दोनों की डांसिंग स्किल्स दिखाने के लिए रखा गया है। ये शो क्यों हो रहा है? अथिया के शो में सूरज कैसे आ गया? इस तरह के कई सवाल हैं। 
 
सवालों को हाशिये पर रखा जा सकता है जब फिल्म में मनोरंजन हो, लेकिन ऐसा कोई सीन फिल्म में नहीं है। कहानी में दम नहीं हो तो कुशल निर्देशक अपने प्रस्तुतिकरण पर दर्शकों को बांध सकता है, लेकिन निखिल आडवाणी सिर्फ नाम के निर्देशक लगे। न उन्होंने स्क्रिप्ट की कसावट पर ध्यान दिया और न ही वे अपने प्रस्तुतिकरण में ताजगी ला सके। फिल्म देख ऐसा लगता है कि बिना निर्देशक के यह फिल्म पूरी कर दी गई हो। फिल्म के आखिर में जब सलमान खान गाने गाते नजर आते हैं तो वे पूरी फिल्म से ज्यादा राहत देते हैं। 
 
सूरज पंचोली और अथिया शेट्टी में आत्मविश्वास तो नजर आता है, लेकिन अभिनय में वे कच्चे हैं। केवल बॉडी बनाना, फाइट और डांस करना ही हीरो बनने की शर्त पूरी करता है तो इसमें सूरज इसमें खरे उतरते हैं। अथिया शेट्टी की संवाद अदायगी दोषपूर्ण है। नकचढ़ी राधा के किरदार में उन्हें सिर्फ चिल्लाना ज्यादा था। बेहतरीन फिल्म बनाने वाले तिग्मांशु धुलिया ने इस फिल्म में राधा के पिता की भूमिका निभाई है और उनके अभिनय में इस बात की झलक मिलती है कि ये सब हो क्या रहा है। 
 
फिल्म का संगीत 'मैं हूं हीरो तेरा' को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर गाने ब्रेक का काम करते हैं। फिल्म की सिनेमाटोग्राफी औसत है।
 
कुल मिलाकर यह 'हीरो' ज़ीरो के नजदीक है। 
 
बैनर : सलमान खान फिल्म्स, इरोज़ इंटरनेशनल, मुक्ता आर्ट्स लि., एमे एंटरटेनमेंट प्रा.लि. 
निर्माता : सलमा खान, सलमान खान, सुभाष घई
निर्देशक : निखिल आडवाणी
संगीत : सचिन-जिगर, अमीत ब्रदर्स अंजान
कलाकार : सूरज पंचोली, अथिया शेट्टी, तिग्मांशु धुलिया, आदित्य पंचोली 
रेटिंग : 1/5