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Written By समय ताम्रकर

तीन थे भाई : एक वसीयत तीन मुसीबत

तीन थे भाई
बैनर : फ्लिक्स इंडिया प्रोडक्शन
निर्माता : राकेश ओमप्रकाश मेहरा
निर्देशक : मृगदीप सिंह लांबा
संगीत : सुखविंदर सिंह, रंजीत बारोट
कलाकार : ओम पुरी, श्रेयस तलबदे, दीपक डोब्रियाल, योगराज सिंह, रागिनी खन्ना

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फिल्म के नाम से ही यह बात जाहिर है कि यह तीन भाइयों की कहानी है। उनके नाम हैं हैप्पी गिल, फैंसी गिल और चिक्सी गिल। इनमें एक बात कॉमन है कि ये तीनों आपस में बहुत नफरत करते हैं।

दादा की मौत हो गई है और इस वजह से तीनों अपने गाँव आए हुए हैं। वे जल्दी से अंतिम क्रिया कर अपनी जिंदगी में लौटना चाहते हैं। तीनों कर्ज में डूबे हुए हैं और अचानक उन्हें आशा की किरण नजर आती है।


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हिमाचल में तीनों के दादा सौ एकड़ के लगभग जमीन छोड़ गए हैं। भाई लोग सोचने लगते हैं कि दु:ख भरे दिन अब कल की बात होगी, लेकिन जैसा कि ज्यादातर कहानियों में होता है, इसमें भी एक ट्विस्ट है। वसीयत में एक शर्त है।

दादा जी की जमीन पर एक कैबिन है। उसमें तीनों भाइयों को पूरी रात साथ गुजारनी होगी और ऐसा उन्हें अगले तीन वर्षों तक करना होगा। पैसा क्या-क्या करवा लेता है। एक-दूसरे से नफरत करने वाले तीनों भाई दो वर्ष तक ऐसा करते हैं।


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अब बारी है अंतिम वर्ष की। इस वर्ष ठंड का जोर है और वह रात आ चुकी है। केबिन तक बर्फ आ पहुँची है। एक-एक कर तीनों भाई उस केबिन तक आ पहुँचे हैं उन लोगों के साथ रात गुजारने जिनका चेहरा देखना तक वे पसंद नहीं करते हैं।

तीनों चाहते हैं कि यह रात जल्दी से गुजर जाए ताकि उन्हें जायदाद मिले, लेकिन उस रात एक अनोखी घटना घटती है। क्या प्यार की जीत होती है। जानने के लिए देखना होगी ‘तीन थे भाई’।