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Written By समय ताम्रकर

रब्बा मैं क्या करूं दर्शकों को आएगी पसंद : आकाश चोपड़ा

रब्बा मैं क्या करूं दर्शकों को आएगी पसंद : आकाश चोपड़ा -
रामानंद सागर का नाम हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में आदर के साथ लिया जाता है। उन्होंने कई फिल्मों की कहानी लिखी। निर्माता-निर्देशक के रूप में उम्दा फिल्में बनाईं। उनके द्वारा बनाई गई ‘रामायण’ घर-घर में लोकप्रिय हुई। रामानंद सागर के परिवार के कई सदस्य मनोरंजन जगत में सक्रिय हैं। इनमें से एक हैं आकाश चोपड़ा।

चार वर्ष की उम्र में आकाश ‘श्रीकृष्ण’ धारावाहिक में एक्टिंग कर चुके हैं। टीवी शो ‘महावीर हनुमान’ निर्देशित कर चुके हैं। 1971 (2007) नामक फिल्म में संगीत दे चुके हैं। ‘रब्बा मैं क्या करूं’ नामक फिल्म से वे बॉलीवुड में डेब्यू करने जा रहे हैं जो जल्दी ही रिलीज होने वाली है। संगीत, निर्देशन और अभिनय में उन्हें क्या पसंद है? पूछने पर आकाश बताते हैं ‘मुझे अभिनय करना पसंद है और अब मैं बतौर अभिनेता ही आगे बढ़ना चाहता हूं। थिएटर करना भी मैं कभी नहीं छोडूंगा।‘

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अमिताभ से ली प्रेरणा
आने वाली फिल्म ‘रब्बा मैं क्या करूं’ में अपने किरदार की चर्चा करते हुए आकाश कहते हैं ‘इस फिल्म में मैं अरशद वारसी के साथ हूं और मेरा किरदार कॉमिक है। लेकिन इसमें मैंने सिर्फ कॉमेडी करने के लिए ही कॉमेडी नहीं की है। यह फिल्म सिचुएशनल कॉमेडी है और परिस्थितियों से उपजा हास्य ही ज्यादा बेहतर माना जाता है। इस रोल के लिए मैंने काफी मेहनत की है। दो महीने की वर्कशॉप की। ‘चुपके-चुपके’ में अमिताभ बच्चन द्वारा निभाए गए किरदार का बारीकी से अध्ययन किया। मेरा किरदार बेहद भोला है, लेकिन बेवकूफ नहीं है जैसा कि आम फिल्मों में भोले किरदार को दिखाया जाता है। मैं खुश हूं कि मुझे अपनी पहली फिल्म में ही ऐसा बेहतरीन किरदार निभाने को मिला।‘

दर्शक हुए समझदार
‘रब्बा मैं क्या करूं’ में स्टार नहीं है, लेकिन अब फिल्मों के चलने के लिए स्टार जरूरी नहीं रह गए हैं। पिछले दिनों कई ऐसी फिल्में भी सफल रही हैं, जिनमें कंटेंट मजबूत था। इस बारे में आकाश कहते हैं ‘ये दौर बहुत अच्छा है। दर्शक समझदार हो गए हैं। वे कंटेंट की अहमियत समझने लगे हैं। यही कारण है कि स्टार्स के बिना ‍भी फिल्में अच्छा व्यवसाय कर रही है।‘

बनाना है अपनी पहचान
रामानंद सागर के पोते होने के बावजूद उन्होंने चोपड़ा सरनेम क्यों लगाया? पूछने पर आकाश कहते हैं ‘हमारे सरनेम चोपड़ा ही है। मेरे दादा लाहौर में उर्दू साहित्य ‘सागर’ नाम से लिखते थे, यही बाद में हमारा सरनेम हो गया। उन्होंने सागर नाम को लोकप्रिय किया। मैं अपने दम पर कुछ बनना चाहता हूं इसलिए मैंने चोपड़ा सरनेम अपनाया है।‘
2 अगस्त को रिलीज होने वाली ‘रब्बा मैं क्या करूं’ से आकाश को बेहद आशाएं हैं।