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Last Modified: मंगलवार, 8 सितम्बर 2020 (15:30 IST)

अहिल्याबाई का नाम गलत तरीके से इस्तेमाल करने पर भूषणसिंह राजेहोलकर ने ली आपत्ति

अहिल्याबाई का नाम गलत तरीके से इस्तेमाल करने पर भूषणसिंह राजेहोलकर ने ली आपत्ति - Virgin Bhaskar 2, Ahilyabai Holkar, Ekta Kapoor
हाल ही में एकता कपूर की नई वेब सीरीज वर्जिन भास्कर 2 सामने आई है और बालाजी और ज़ी5 पर दिखाई जाने वाली इस वेब सीरीज में कुछ ऐसी बातें हैं जो अहिल्याबाई होलकर के परिवार वालों को पसंद नहीं आई है।
 
वर्जिन भास्कर वेब सीरीज में दिखाया है कि जहां पर मेन लीड यानी जिया शंकर जिस हॉस्टल में रहकर इरॉटिकल लिख रही है उस हॉस्टल का नाम अहिल्याबाई गर्ल्स हॉस्टल है। अहिल्याबाई होलकर के परिवार वालों का कहना है कि अहिल्याबाई नाम हटा दिया जाए। इस होस्टल का नाम आपने गलती से रखा या जानबूझकर वह हम नहीं जानते बस इस नाम को बदल दिया जाए। 
 
वेबदुनिया से बात करते हुए अहिल्याबाई होलकर के परिवार से जुड़े श्रीमंत भूषणसिंह राजेहोलकर का कहना है 'फिल्म इंडस्ट्री एक बहुत ही जिम्मेदार इंडस्ट्री है। इनकी बनाई हुई फिल्म या वेबसीरिज का असर गांव, प्रांत या देश नहीं बल्कि विदेशों में भी होता है। आज की पीढ़ी किताबें कम पढ़ रही है जबकि वह सोशल नेटवर्किंग साइट पर बहुत ज्यादा बातें देख, सुन और पढ़ रही है। उन्हें यह लगता है कि इसमें जो चीज दिखाई गई है वही सच है।' 
 
भूषण सिंह आगे बताते हैं- 'आप जिस आजाद भारत में खड़े हैं, उसकी आजादी के लिए कई लोगों ने बहुत बड़े-बड़े बलिदान दिए हैं। जब भी इन से जुड़ी कोई भी बात अपने शो या वेब सीरीज में बताते हैं या ऐतिहासिक नाम का उपयोग भी करते हैं तो यह काम संभल कर करना चाहिए। 
 
एक मिसाल देता हूं। कुछ दिन पहले अक्षय कुमार ने डिटर्जेंट का ऐड किया था। जिसमें कई लोग पीछे राजा महाराजाओं की पगड़ी पहन कर नाच रहे हैं। मुझे इस बात का इसलिए बुरा लगा क्योंकि मैं जानता हूं कि राजा-महाराजाओं के समय पगड़ी को कितना महत्व दिया जाता था। यह पगड़ी आपको यूं ही नहीं मिल जाया करती थी। आपको अर्जित करनी पड़ती थी। 
 
अब तानाजी मलूसरे नाम आप जानते ही हैं। उन्होंने अपने जीवन का बलिदान दिया तब जाकर उन्हें शिवाजी के साम्राज्य में सूबेदार जैसी बड़ी पदवी दी गई। इस पगड़ी का उसमें उतना ही महत्व था जितना कि आज के आजाद भारत में तिरंगे का या फिर हमारे एंबलम का महत्व है। ऐसे आप राजाओं की पगड़ी और राजाओं की ड्रेस को कॉस्टयूम बनाकर पेश करेंगे तो बुरा लगता है।
 
तो अब आप आगे क्या करने वाले हैं। 
मैंने बालाजी टेलीफिल्म्स को एक ईमेल भेजा है और रजिस्टर्ड पोस्ट भेजा है। साथ ही सीबीएफसी को भी पत्र लिखकर बताया है। मुझे ऐसा लगता है कि सबसे पहले जिससे परेशानी है, पहले उससे बात की जाए। तो आने वाले दो-तीन दिन में अगर एकता कपूर की तरफ से हमें कोई जवाब मिलता है तो अच्छी बात है। वरना हमें लीगल एक्शन लेनी पड़ेगी। जहां तक मेरी जानकारी है कि देश के कई भागों में इसका विरोध शुरू हो गया है। मुझे मालूम पड़ा है कि बेंगलुरु, हिंगोली, जलगांव, परभणी, पुणे और इंदौर के अन्नपूर्णा रोड पुलिस स्टेशन में पहले ही शिकायत की जा चुकी है। हो सकता है आने वाले दिनों में देशव्यापी आंदोलन हो जाए। मैंने ये बात प्रकाश जावड़ेकर को भी बताई है।
 
क्या आपको लगता है आने वाले दिनों में कोई तो एक ऐसी संस्था हो जो हिस्टॉरिकल फिल्म या कैरेक्टर को सही रूप से फिल्मों में दिखाने के लिए मदद कर सके।
बिल्कुल। हमारे देश में कई ऐसे इतिहासकार हैं। जो सही-सही जानकारी रखते हैं। उस शख्स के बारे में या किसी इवेंट के बारे में। एक नाम लेता हूं दिग्पाल लांजेकर। यह एक जाने-माने इतिहासकार हैं। मराठी फिल्में जो की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बनी है उसका उन्होंने ही मार्गदर्शन किया है। अगर आप साउथ में भी देखें तो कई ऐसी हिस्टॉरिकल इवेंट पर बनी फिल्में होती है, लेकिन उसके ऊपर तो कभी कोई विवाद नहीं हुआ। हर बार बॉलीवुड में ही क्यों होता है?   
 
मुझे हमेशा यह लगता है कि अगर फिल्में बन रही हैं तो बहुत अच्छी बात है। कम से कम आप ऐसे लोगों को ऐसी कहानियों को खोजकर इतिहास निकाल कर लेकर आते हैं और आज कि दर्शकों के सामने और आज की पीढ़ी के सामने लेकर आते हैं। पर कम से कम सही रूप में लाएं। सिनेमैटिक लिबर्टी के नाम पर इतिहास के तथ्यों से छेड़छाड़ ना करें तो अच्छा होगा।