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Written By दीपक असीम

विद्या बालन नहीं लग रही हैं ‘डर्टी’

चुनौती है विद्या का सिल्कीकरण

विद्या बालन नहीं लग रही हैं ‘डर्टी’ - विद्या बालन नहीं लग रही हैं ‘डर्टी’
विद्या बालन ने अपना वजन बारह किलो बढ़ा लिया है। वे लाल साड़ी पहनकर सभी टीवी शो में आ रही हैं और अपनी फिल्म "डर्टी पिक्चर" का प्रचार कर रही हैं। मगर विद्या बालन वैसी "डर्टी" लग नहीं रहीं, जैसी सिल्क स्मिता लगा करती थीं। 

हिन्दी फिल्म "सदमा" में सिल्क स्मिता का रोल हिन्दीभाषी दर्शकों को याद होगा। इस फिल्म में सिल्क पर एक गाना भी पिक्चराइज हुआ था। गाना बहुत ही मादक था। इस समय होता तो उसे आइटम नंबर कहा जाता।

फिल्म में उनका रोल एक बूढ़े प्रोफेसर की अतृप्त पत्नी का था। उनकी हर अदा सेंसुअस थी। सवाल ज्यादा कपड़े या कम कपड़े का नहीं, ऑरा का है, हाव-भाव का है। सिल्क की हर अदा एक खास अर्थ रखती थी। उनके देखने का ढंग, उनकी आँखों के भाव...। सिल्क बस सिल्क थीं। भारी जिस्म की होने के बावजूद वे मोटी नहीं लगीं। मगर विद्या मोटी लगती हैं।

अभिनय में विद्या बालन निश्चित ही बेजोड़ हैं। "इश्किया" में अरशद वारसी के साथ उनका एक सेंसुअस सीन था, जो उन्हें खूब फबा था। मगर उस सीन में भी विद्या कहीं से डर्टी नहीं थीं। सवाल उस "डर्टीनेस" का है, जो विद्या के अभिजात्य चेहरे पर आता ही नहीं।

जितना "डर्टी पिक्चर" का प्रचार किया जा रहा है, उतना ही यह अंदेशा बढ़ रहा है कि इस रोल के लिए विद्या की कास्टिंग एक गलती है। जैसा प्रचार चल रहा है, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि फिल्म को ओपनिंग बहुत तगड़ी मिलने वाली है। मुमकिन है फिल्म हिट भी हो जाए।

मगर ये सवाल तो विद्या के परफार्मेंस के बाद ही पता चलेगा कि वे सिल्क स्मिता तक पहुँची हैं या नहीं। सिर्फ चेहरे-मोहरे में विद्या अलग होतीं, तो चल जाता। वजन को कम-ज्यादा किया जा सकता है, मगर विद्या सिल्क स्मिता के एकदम ही विपरीत हैं। विद्या ने ये रोल अपनी इमेज तोड़ने के लिए किया है। अगर वे अपनी कुदरती गरिमा को अपनी इमेज कह रही हैं, तो बात गड़बड़ है।

वैसे फिल्म बनाने के मामले में एकता कपूर बहुत साफ सोच रखती हैं। उनका मानना है कि बड़े पर्दे पर अब इमोशनल ड्रामा नहीं चलने वाला। इमोशनल ड्रामे के लिए टेलीविजन है, डेली सोप हैं। बड़े पर्दे पर चलेगा तो सेक्स, एक्शन, कॉमेडी और भूत-प्रेत वाला मसाला। जो कुछ भी परिवार के साथ बैठकर देखा जा सकता है, उसे एकता टीवी धारावाहिकों के जरिए दिखाती हैं और जो भी परिवार के साथ बैठकर देखने योग्य नहीं है, उसके दर्शन वे सिनेमाघरों में कराती हैं।

"डर्टी पिक्चर" नाम से ही बहुत कुछ स्पष्ट हो जाता है। देखना यही है कि विद्या बालन किस हद तक सिल्क बन पाई हैं। जितने प्रोमो दिखाए जा रहे हैं उनमें तो विद्या सिल्क नहीं विद्या ही लग रही हैं। हो सकता है फिल्म के संपूर्ण प्रभाव में विद्या का सिल्कीकरण हो जाता हो।