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Written By समय ताम्रकर

सही दिशा में बढ़ रही हैं समीरा

सही दिशा में बढ़ रही हैं समीरा -
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‘रेस’ फिल्म की सफलता का श्रेय समीरा रेड्डी को छोड़ उसमें काम करने वाले सभी कलाकारों को मिला। समीरा के घर न तो निर्माताओं की लाइन लगी और न ही उन्होंने कोई उल्लेखनीय फिल्म पिछले दिनों साइन की। वे तो रियलिटी शो में जज की भूमिका निभाते हुए नजर आ रही हैं। बाद का सारा समय फीते काटने में या स्टेज शो में जाता है।

समीरा की सोच इसके विपरीत है। उनका मानना है कि ‘रेस’ फिल्म से उनको फायदा ही हुआ है। जो भूमिका उन्होंने निभाई है, वो आसान नहीं थी। एक बेवकूफ लड़की के रूप में अभिनय करना बेहद कठिन है। उनके अभिनय की तारीफ हुई है और कई फिल्मों के प्रस्ताव भी उन्हें मिले हैं। वे हास्य भूमिकाओं को प्राथमिकता दे रही हैं क्योंकि आमतौर पर नायिकाएँ हास्य भूमिका कम निभाती हैं।

समीरा को पहला अवसर सोहेल खान ने ‘मैंने दिल तुझको दिया’ (2002) में दिया था। खान परिवार के वे बेहद करीब हैं और इसका लाभ उन्हें मिला। फिल्म पिट गई और समीरा का संघर्ष शुरु हो गया।

संजय गुप्ता द्वारा निर्देशित ‘मुसाफिर’ उनके करियर का टर्निंग पाइंट साबित हुई। संजय ने उन्हें बेहद ग्लैमरस अंदाज में पेश किया और इस फिल्म के बाद उनकी पहचान बनी। समीरा इस फिल्म में अपने सह कलाकार अनिल कपूर से बेहद प्रभावित हुईं और आज भी उन्हें अपना मार्गदर्शक मानती हैं।

‘टैक्सी नं. 9211’ जैसी सफल फिल्म भी उनके खाते में जमा है, लेकिन बॉलीवुड के किसी खेमे से नजदीकी संबंध ना होने की वजह से उन्हें अभी भी संघर्ष करना पड़ रहा है।

आने वाली फिल्म ‘रेड अलर्ट’ से समीरा को बेहद आशाएँ हैं। इस फिल्म में उन्होंने लक्ष्मी ‍नामक किरदार निभाया है। वे पुलिस स्टेशन में सहायता माँगने जाती हैं और वहाँ उनके साथ बलात्कार किया जाता है। समीरा के मुताबिक यह फिल्म वास्तविकता के करीब है और ‍अपने चरि‍त्र को वास्तविक बनाने के लिए उन्होंने वजन भी घटाया है।

समीरा के बारे में अक्सर कहा जाता है कि उन्हें हिंदी फिल्मों में अपेक्षानुरूप काम नहीं मिलता है, इसलिए वे क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्में करती हैं। पता नहीं यह बात समीरा के बारे में ही क्यों कही जाती है। बॉलीवुड की कई नायिकाएँ दूसरी भाषाओं की फिल्में करती हैं।

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क्षेत्रीय फिल्मों के प्रति समीरा को इसलिए मोह है क्योंकि इन फिल्मों में उनको बेहद सशक्त भूमिकाएँ निभाने के लिए मिलती हैं और वे ऐसा कोई मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहती। बंगला फिल्मों में वे एक जाना-पहचाना नाम है और उम्दा निर्देशकों के साथ उन्हें काम करने का अवसर मिल रहा है।

समीरा इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि उनकी प्रगति की रफ्तार धीमी है, लेकिन वे इस बात से खुश हैं कि वे सही दिशा में आगे बढ़ रही हैं।