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Written By BBC Hindi

ब्रिटेन में चेकबुक को अलविदा

ब्रिटेन में चेकबुक को अलविदा -
BBC
ब्रिटेन में अक्टूबर 2018 तक चेकबुक का रिवाज खत्म हो जाएगा। वहाँ के भुगतान काउंसिल बोर्ड ने ये घोषणा इस मंशा से की है ताकि लोग भुगतान के दूसरे नए और बेहतर तरीकों का इस्तेमाल अधिक करना शुरू करें, लेकिन उन्होंने साथ ही ये भी कहा है कि ये उसी सूरत में किया जाएगा जब कि भुगतान के दूसरे विकल्प तैयार हो जाएँगे।

पहला चेक आज से साढ़े तीन सौ साल पहले लिखा गया था और इस फैसले के बाद कुछ लोग जरूर निराश हैं।

भुगतान कांउसिल के बोर्ड ने ये भी कहा है कि इस फैसले की अंतिम समीक्षा 2016 में की जाएगी और बुजुर्गों और नई तकनीक इस्तेमाल न कर पाने वाले लोगों की जरूरतों का भी पूरा खयाल रखा जाएगा।

टेढ़ी खीर : भुगतान कांउसिल चेक की जगह 'इस्तेमाल मे आसान और सक्षम' विकल्पों की तलाश में है जो कि सबों को समझ मे आ सके।

काउंसिल के प्रमुख अधिकारी पाँल स्मी का कहना था कि उपभोक्ताओं को तुरंत कोई बदलाव नहीं दिखेगा क्योंकि इस पूरी प्रक्रिया के लिए तय तारीख काफी दूर है। 21वीं सदी मे भुगतान के कई नए और बेहतर तरीके उपलब्ध हैं और ये वक्त बिल्कुल सही है जब कागज के चेक बुक को अलविदा कहा जाना चाहिए। लेकिन असल चुनौती तो अभी आगे है। सवाल ये है कि ब्रिटेन की संस्कृति में हाथ से लिखे जाने वाले कागज के चेक बुक की एक खास जगह है, उसकी भरपाई कैसे की जा पाएगी।'

भुगतान की नई तकनीक में मोबाईल फोन और कांटेक्टलेस तकनीक को बैंक और कर्ज देने वाली एजेंसियाँ काफी बढ़ावा दे रही है।

बीबीसी के वित्तीय मामलों के संवाददाता केविन पीची का कहना है कि बगैर चेक बुक की जिंदगी की कल्पना कुछ लोगों को असमंजस मे डाल रही है कि आखिर वे छोटे मोटे काम के लिए, बिजली के मिस्त्री को, बढ़ई को कैसे भुगतान करेंगे।

ब्रिटेन की भुगतान काउंसिल का कहना है कि जब तक ये पुराना सिस्टम हटाया जाएगा, भुगतान के कई नए विकल्प मौजूद होंगे। इस तरह की तकनीक अफ्रीका में खूब प्रचलित है।

स्वार्थी फैसला : नैशनल पेंशनर्स कंवेंशन के डाँट गिब्सन कहते है कि ये बहुत ही स्वार्थी फैसला है। ये फैसला जाहिर है उन लोगों ने लिया है जिनको इसका अंदाजा ही नहीं है कि लाखों बूढ़े लोग अपने वित्तीय मामलो से कैसे निपटते हैं।

ब्रिटेन मे कई दुकाने खासकर बडे सुपर मार्केट चेन अब चेक से भुगतान नहीं लेते हैं, क्योंकि ये उनके लिए सबसे महँगा तरीका है। 1990 के दशक मे निजी चेक भुगतान अपने चरम पर था। लेकिन उसके बाद से उसमें लगातार गिरवाट दर्ज की गई है।