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Written By BBC Hindi
Last Modified: रविवार, 10 अक्टूबर 2021 (20:54 IST)

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस सलमान फ़ुटबॉल क्लब की हिस्सेदारी ख़रीदने पर विवादों में क्यों हैं?

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस सलमान फ़ुटबॉल क्लब की हिस्सेदारी ख़रीदने पर विवादों में क्यों हैं? - Why is Saudi Arabia's Crown Prince Salman in controversy over buying a stake in the football club
- रिक केल्सी300 मिलियन पाउंड (लगभग 3068 करोड़ रुपए) में न्यूकैसल यूनाइटेड के अधिग्रहण के सौदे का क्लब के समर्थकों ने स्वागत किया है, लेकिन सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के जुड़े होने के कारण फ़ुटबॉल के कुछ चाहने वाले इससे चिंतित हैं। उनकी चिंता का कारण सऊदी अरब के मानवाधिकारों के रिकॉर्ड को लेकर है।

क्लब को सऊदी अरब के पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड (पीआईएफ़), अरबी स्पोर्ट्स एंड मीडिया और पीसीपी कैपिटल पार्टनर्स ने मिलकर लिया है। इसमें सबसे बड़ी हिस्सेदारी पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड के पास है, जिसके अध्यक्ष क्राउन प्रिंस सलमान हैं।

हालांकि लोगों को इस बात का एहसास नहीं है कि वो पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड से समर्थित कई उत्पादों का उपयोग करते आ रहे हैं। न्यूकैसल में 80 फ़ीसदी हिस्सेदारी लेने वाले पीआईएफ़ से डिज्नी, उबर, फ़ेसबुक और स्टारबक्स जैसी कुछ कंपनियों ने करोड़ों पाउंड हासिल किए हैं।

पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड के पास इतनी नकदी कहां से आई?
पीएफ़आई दरअसल सऊदी अरब सरकार के क़ानूनों के तहत राज्य के स्वामित्व वाला निवेश फंड है। यह अपना अधिकांश पैसा तेल से बनाता है, जो सऊदी अरब पूरी दुनिया में बेचता है, लेकिन तेल लंबे समय तक नहीं रहेगा लिहाजा इस फंड को लंबी अवधि में पैसे बनाने के नए तरीक़े ढूंढने होंगे।

एम्लीयॉन बिजनेस स्कूल में यूरेशियन स्पोर्ट के निदेशक और फ़ुटबॉल फाइनैंस एक्सपर्ट प्रोफ़ेसर साइमन चैडविक कहते हैं, वो तेल और गैस से प्राप्त होने वाले राजस्व से अलग अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता लाने का प्रयास कर रहे हैं। वो ये देख रहे हैं कि कैसे तेल पर निर्भरता कम करके भी सऊदी अरब की आय होती रहे।

और कौन-कौन सी कंपनियों को पैसे दिए?
कई वो कंपनियां जिनके नाम आप जानते होंगे। पीआईएफ़ ने डिज्नी, उबर, फ़ेसबुक, स्टारबक्स और दवा कंपनी फ़ाइज़र जैसे कुछ बड़े नामों में निवेश किए हैं। लेकिन साइमन कहते हैं कि पीआईएफ़ ने इंग्लैंड और उत्तर पूर्व में पवन ऊर्जा में भी भारी निवेश करने की योजना बनाई है।

वे कहते हैं, रूबेन ब्रदर्स (न्यूकैसल अधिग्रहण समूह की एक कंपनी) भी अक्षय ऊर्जा संसाधनों में भारी निवेश कर रहा है। फ़ुटबॉल क्लब का अधिग्रहण इन कंपनियों के शेयरहोल्डर्स के बीच अच्छे संबंध बनाने का मौका देता है।उनका मानना है कि वो टाइन बंदरगाह और तट से दूर पवन चक्की खेतों में काम करना चाहेंगे। वे कहते हैं, अगर आप लॉन्ग टर्म के बारे में सोच रहे हैं, तो ये संपत्तियां राजस्व पैदा करेंगी।

विवाद की वजह क्या है?
दरअसल सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान पीआईएफ़ के अध्यक्ष हैं। 85 साल के किंग सलमान की सेहत ठीक नहीं है और वह पहले ही अपनी ज़्यादातर शक्तियां एमबीएस को दे चुके हैं। यानी 36 वर्षीय प्रिंस सलमान उर्फ़ एमबीएस ही अपने पिता की सरकार चलाते हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने सऊदी अरब के मुखर आलोचक रहे पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या का आदेश दिया था।

ख़ाशोज्जी अमेरिकी अख़बार वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार थे और आख़िरी बार उन्हें 2 अक्टूबर 2018 को इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास में देखा गया था। ख़ाशोज्जी 2 अक्तूबर 2018 को तुर्की की राजधानी इस्तांबुल स्थित सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में अंदर गए लेकिन फिर कभी न तो बाहर निकले और न ही उनका शव ही मिला। तब के रिपोर्ट्स के मुताबिक़ ख़ाशोज्जी के शव के टुकड़े करके इमारत से बाहर भेजा गया था।

तब तुर्की के अधिकारियों ने बीबीसी को बताया था कि उनका मानना है कि ख़ाशोज्जी की वाणिज्य दूतावास में ही हत्या हो गई है, जिसका सऊदी अरब ने ज़ोरदार खंडन किया था। हालांकि तुर्की के अधिकारियों ने बीबीसी अरबी को बताया था कि उनके पास ख़ाशोज्जी की हत्या के ऑडियो और वीडियो सबूत हैं।

हत्या के कुछ हफ़्ते बाद रियाद में एक निवेश सम्मेलन में क्राउन प्रिंस ने इसे एक जघन्य अपराध और दुखद घटना करार दिया था और ज़िम्मेदार लोगों को न्याय के दायरे में लाने का वादा किया था। इस घटना को लेकर सऊदी अरब पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए सरकार की जवाबदेही तय करने की पुकार उठी। एक साल बाद 2019 में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया कि जमाल ख़ाशोज्जी की मौत के लिए सऊदी अरब सरकार ज़िम्मेदार है।

हालांकि सऊदी अरब सरकार ने हमेशा इस बात से इनकार किया है। इस बीच क्राउन प्रिंस सलमान ने यह दिखाने की कोशिश की कि वे अतिरूढ़िवादी हुकूमत में सुधार कर रहे हैं। उन्होंने महिलाओं को ड्राइव करने की अनुमति दी।क़ानूनी रूप से बाध्यकारी यह आश्वासन देने के बाद कि सऊदी सरकार क्लब को नियंत्रित नहीं करेगी, प्रीमियर लीग ने न्यूकैसल के अधिग्रहण को मंजूरी दे दी है। लगभग 3,068 करोड़ रुपए न्यूकैसल की ख़रीद पीआईएफ़ के अरबों रुपए के निवेश का महज एक छोटा सा हिस्सा है।

'स्पोर्ट्सवाशिंग' क्या है और क्यों चर्चा में है?
कुछ लोगों के तर्क हैं कि बड़ी कंपनियों के छोटे हिस्से में निवेश करना प्रीमियर लीग क्लब में बड़ी हिस्सेदारी ख़रीदने जैसा नहीं है। इस अधिग्रहण पर उठे विवाद के दरम्यान आपने हाल के दिनों में 'स्पोर्ट्सवाशिंग' जैसे शब्द सुने होंगे। यूएई और क़तर जैसे देशों पर हाल ही में ऐसे ही आरोप लगे हैं- उनके बड़े नेता मैन सिटी और पेरिस सैंट जर्मेन की मालिक हैं।

दरअसल 'स्पोर्ट्सवाशिंग' शब्द का इस्तेमाल तब किया जाता है, जब कोई व्यक्ति, समूह, निगम या राष्ट्र वैश्विक स्तर पर अपनी छवि सुधारने के लिए खेल का उपयोग करती है। एमनेस्टी इंटरनेशनल का मानना है कि कुछ देश अपने ख़राब मानवाधिकार रिकॉर्ड से ध्यान भटकाने के लिए खेल में निवेश करते हैं। महिलाओं के साथ ख़राब व्यवहार, मौत की सज़ा का इस्तेमाल और एलजीबीटी विरोधी रुख को इस मानवाधिकार संस्था ने सऊदी अरब के ख़राब मानवाधिकारों के उदाहरण के रूप में बताया है।
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