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Written By BBC Hindi
Last Updated : सोमवार, 22 मार्च 2021 (09:31 IST)

चीन अरुणाचल प्रदेश में यूरेनियम की खोज से क्यों है परेशान?

चीन अरुणाचल प्रदेश में यूरेनियम की खोज से क्यों है परेशान? - Why is China worried about the discovery of uranium in Arunachal Pradesh?
दिलीप कुमार शर्मा (गुवाहाटी से बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम के लिए)
 
अरुणाचल प्रदेश में यूरेनियम के भंडार का पता लगाने से जुड़ी ख़बरों पर चीनी अधिकारियों के ऐतराज़ का जवाब देते हुए प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी ने कहा है कि 'भारत अपने अधिकार-क्षेत्र में विकास का कोई भी काम करे, उसमें चीन को बोलने का कोई हक नहीं है।'
 
अरुणाचल प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता डोमिनिक तादार ने बीबीसी से कहा, 'हम अपने राज्य के भीतर अपनी ज़मीन पर कोई काम कर रहे हैं और अगर उस पर चीन बोलता है तो यह ग़लत बात है। हम ऐसी प्रतिक्रियाओं को बिलकुल मान्यता नहीं देते। अरुणाचल प्रदेश के शि-योमी ज़िले में जहां यूरेनियम के भंडार का पता लगाने की बात हो रही है, वो हमारे राज्य का ज़िला है। शि-योमी भारत और अरुणाचल प्रदेश का अंग है।'
 
बीजेपी प्रवक्ता तादार कहते हैं, 'शि-योमी ज़िला हमारे अरुणाचल प्रदेश राज्य के भीतर है। चीन हमेशा इस तरह की बात करता रहा है। जब भी हम अरुणाचल प्रदेश में कुछ काम करते हैं, देश के प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति यहां आते हैं, तो चीन की सरकार और वहां के लोग इस बात को बर्दाश्त नहीं कर पाते। चीन को इस तरह की प्रतिक्रिया देने की बुरी आदतों को छोड़ना चाहिए।'
 
चीन को क्या है आपत्ति?
 
दरअसल, चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स में बुधवार को छपी अरुणाचल प्रदेश में यूरेनियम के भंडार का पता लगाने से संबंधित ख़बर में चीनी अधिकारियों ने निराशा व्यक्त करते हुए भारत के यूरेनियम अन्वेषण कार्यक्रम को ग़ैर-क़ानूनी बताया था। ग्लोबल टाइम्स ने 17 मार्च को लिखा कि 'चीनी विशेषज्ञों ने दक्षिण तिब्बत में भारत के यूरेनियम की अवैध खोज पर सनसनीखेज़ कवरेज के लिए भारतीय मीडिया को दोषी ठहराया है। यह चीन के क्षेत्र पर कब्ज़ा करने की भारत की ज़िद्दी स्थिति को दर्शाता है।'
 
चीन के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस तरह का अवैध व्यवहार चीन-भारत सीमा वार्ता को और जटिल बना सकता है। चीन अरुणाचल प्रदेश को विवादित क्षेत्र कहता आया है और इस राज्य को 'दक्षिण तिब्बत' बताता है और वहां भारतीय संप्रभुता को मान्यता देने से इनकार करता रहा है।
 
ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, तथाकथित 'अरुणाचल प्रदेश' की स्थापना पिछली शताब्दी में अवैध रूप से की गई थी और चीनी क्षेत्र के लगभग 90,000 वर्ग किलोमीटर इलाके पर भारत का कब्ज़ा है। दो दिन पहले भारत के प्रमुख अख़बारों में यह ख़बर छपी थी कि भारत और चीन की सीमा से केवल तीन किलोमीटर की दूरी पर अरुणाचल प्रदेश में यूरेनियम के भंडारों की खोज करने का काम शुरू किया गया है। परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय (एएमडी) के निदेशक डीके सिन्हा ने सोमवार को हैदराबाद में कहा था कि 'हमें केंद्र सरकार की ओर से ज़रूरी प्रोत्साहन मिला है और हमने यूरेनियम खोजने का काम शुरू कर दिया है।'
 
एएमडी निदेशक सिन्हा ने कहा, 'पहाड़ियों की वजह से हवाई माध्यम से खोज करने की संभावना नहीं थी, लेकिन अन्वेषण शुरू करने के लिए हम पहाड़ियों पर चढ़े।' इंडियन न्यूक्लियर सोसाइटी द्वारा आयोजित रेडिएशन एंड एनवायरमेंट विषय पर आधारित एकदिवसीय सेमिनार में बोलते हुए सिन्हा ने कहा कि वो भारत के सबसे दूर स्थित गांव मेचूका घाटी तक गए।
 
'यूरेनियम की खोज का काम शुरू हुआ'
 
इस ख़बर को द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने डीके सिन्हा का हवाला देते हुए 16 मार्च को छापा था। यह अन्वेषण अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम सियांग ज़िले के आलो में किया गया। यह स्थान ज़मीन से 619 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हालांकि, जब पश्चिम सियांग ज़िले के उपायुक्त राजीव ताकुक से बीबीसी ने फ़ोन पर संपर्क किया तो उन्होंने कहा, 'यूरेनियम के भंडारों की खोज करने की जो बात कही जा रही है वो इलाका पहले मूल रूप से पश्चिम सियांग ज़िले में ही आता था, लेकिन अब वह इलाक़ा शि-योमी ज़िले के अंदर आता है। यह अरुणाचल प्रदेश का नया ज़िला है जो चीन की सीमा के पास है। यह इलाका मेरे ज़िले के अंदर नहीं है, लेकिन वहां यूरेनियम के भंडारों की खोज का काम शुरू किया गया है, इस बात की मुझे जानकारी है।'
 
ग्लोबल टाइम्स ने लद्दाख में गतिरोध का उल्लेख करते हुए अपनी रिपोर्ट में लिखा, 'विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि भारत का हाइपिंग और आक्रामक क़दम चीन-भारत सीमा वार्ता को जटिल बना सकता है जिसका उद्देश्य सीमा विवाद को हल करना है। जैसा कि पिछले गतिरोध ने प्रदर्शित किया था कि एकतरफा उकसाने वाली समस्या दोनों पक्षों को बातचीत की मेज पर वापस लाने के लिए अनुकूल नहीं है।'
 
ग्लोबल टाइम्स ने सिंघुआ विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय रणनीति संस्थान में अनुसंधान विभाग के निदेशक कियान फ़ेंग का हवाला देकर लिखा है कि 'तिब्बत के दक्षिणी हिस्से में भारत ने अवैध अन्वेषण किया है और ये अपने दावों को सही ठहराने के लिए विवादित क्षेत्र पर कब्ज़ा करने की भारत की मानसिकता का एक ज़बरदस्त प्रकटीकरण है।'
 
चीन से कार्रवाई करने का आह्वान
 
ग्लोबल टाइम्स की इस ख़बर के अनुसार, सिंघुआ विश्वविद्यालय में भारतीय अध्ययन के एक और सहायक प्रोफ़ेसर शी चाओ ने चीन से भारत के बुरे इरादों के ख़िलाफ़ जवाबी कार्रवाई करने का आह्वान किया है। भारत-चीन सीमा विवाद से जुड़े मामलों के जानकार तथा सैन्य सुरक्षा रणनीति की समझ रखने वाले रूपक भट्टाचार्य ने बीबीसी से कहा, 'अरुणाचल प्रदेश में परमाणु खनिज निदेशालय के कई शीर्ष अधिकारियों ने यूरेनियम के भंडारों की खोज पर रिसर्च की है। राज्य के पश्चिम सियांग, पश्चिम कामेंग, लोअर सुबनसिरी और अपर सुबनसिरी ज़िलों में 1969 से ही युरेनियम की खोज की जा रही है। इन ज़िलों में यूरेनियम की एक वैराएटी मिलने की बात सामने आई थी।'
 
'यूरेनियम के भंडारों की खोज और इसकी माइनिंग दोनों अलग-अलग बातें हैं। यूरेनियम खोजने के दौरान रेडियोमेट्रिक सर्वेक्षण, भूवैज्ञानिक मान-चित्रण और ड्रिलिंग की जाती है। पूर्वोत्तर में यूरेनियम की माइनिंग केवल मेघालय में की गई थी, लेकिन स्थानीय आदिवासियों के विरोध के चलते वहां खनन पर रोक लगा दी गई।' यूरेनियम एक रेडियोएक्टिव पदार्थ होता है। इसे सामरिक खनिज कहा जाता है और इसका उपयोग परमाणु हथियार बनाने के लिए किया जाता है। हालांकि, हथियार बनाने के लिए इसे परिष्कृत करना होता है, जो एक जटिल प्रक्रिया है।
 
'पहले भी ऐसी भडकाऊ ख़बरें प्रकाशित कीं'
 
यूरेनियम के भंडारों की खोज को लेकर चीन की प्रतिक्रिया पर भट्टाचार्य कहते हैं, 'जिन ज़िलों में अब तक यूरेनियम की तलाश की गई है, वो सारे इलाक़े वास्तविक नियंत्रण रेखा के नज़दीक हैं। बात जहां तक चीन के बोलने की है तो वो हमेशा ऐसी प्रतिक्रिया देते रहता है।'
 
'ग्लोबल टाइम्स वहां की सत्तारूढ़ पार्टी का मुखपत्र है और उसमें जिन लोगों को कोट किया जाता है वो सभी चीनी सरकार के पैसे से चलने वाले विश्वविद्यालय में काम करते हैं। लिहाज़ा ग्लोबल टाइम्स की बात को मानयता देने का कोई मतलब नहीं है। वो डोकलाम विवाद के दौरान भी ऐसी भड़काऊ ख़बरें प्रकाशित करते रहा है।'
 
इस साल जनवरी में कुछ भारतीय न्यूज़ चैनेलों ने सैटेलाइट की तस्वीरों के हवाले से यह दावा किया था कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में भारत के नियंत्रण वाले इलाक़ों में पक्के घरों वाला एक गांव बसाया है। अरुणाचल प्रदेश चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के साथ 1,129 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। भारत के नियंत्रण वाले इलाक़ों में चीन की घुसपैठ पर रूपक भट्टाचार्य कहते है, 'चीन ने 31 दिसंबर 2020 में अपने दक्षिण-पश्चिमी प्रांत सिचुआन की राजधानी चेंगडू से तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र की राजधानी ल्हासा होते हुए न्यिंग-ची तक रणनीतिक रेलवे लाइन का काम पूरा कर लिया था।'
 
'न्यिंग-ची अरुणाचल प्रदेश के बॉर्डर से सटा हुआ चीनी शहर है। भारत के लिए यह बात ज़्यादा चिंता की है, क्योंकि इस पटरी पर इसी साल जून में रेल गाड़ियां चलना शुरू हो जायेंगी। चेंगडू से ल्हासा आने में पहले 48 घंटे का समय लगता था जो अब 13 घंटे में पूरा हो जाएगा। समझने वाली बात ये है कि इसमें सुरक्षा निहितार्थ बहुत बड़ा है, ख़ासकर अरुणाचल प्रदेश के लिए।'
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