मंगलवार, 23 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. story of taliban fighter
Written By BBC Hindi
Last Updated : शनिवार, 4 सितम्बर 2021 (01:10 IST)

तालिबान लड़ाके की कहानी : टूटी-फूटी बाइक से आधुनिक कार और हथियारों के जख़ीरे तक

तालिबान लड़ाके की कहानी : टूटी-फूटी बाइक से आधुनिक कार और हथियारों के जख़ीरे तक - story of taliban fighter
- मलिक मुदस्सिर

काबुल की सड़कों पर असामान्य सा सन्नाटा महसूस हो रहा है। ऐसा लगता है मानो शहर का 70 प्रतिशत ट्रैफ़िक अचानक से कहीं ग़ायब हो गया है। एयरपोर्ट पर पर भी ख़ामोशी छाई हुई है, लेकिन इसे चालू करने के लिए क़तर के कर्मचारी यहां पहुंच गए हैं। क़तर के एक अधिकारी ने मुझे बताया कि हम जल्द से जल्द, कुछ ही दिनों में एयरपोर्ट को शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं।

इसके लिए हम पहले दो टेस्ट फ़्लाइट का उड़ान भरवाएंगे और फिर घरेलू और उसके बाद अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू करेंगे। लेकिन अफ़ग़ान सरकार बनने में और कितना समय लगेगा, इस बारे पुख़्ता तौर पर कोई बात नहीं करता है। तालिबान के एक सदस्य से हुई विस्तृत मुलाक़ात ने हमें उनके जीवन में झांकने का एक अवसर दिया।

हुआ यूं कि होटल में खाना खाते समय अचानक तालिबान का एक सदस्य हमारे सामने खाली पड़ी एक कुर्सी को खींचकर, उस पर बैठ गया। उसकी उम्र क़रीब 25 साल के आसपास रही होगी। बैठते ही उसने सवाल किया, क्या तुम यहां ठीक हो? कोई समस्या तो नहीं।

मैंने और आसपास बैठे मेरे साथियों ने कहा, हां, सब ठीक है। उसने आगे बोलना जारी रखा, हम यहां आपकी सेवा के लिए ही तो आए हैं, हमारी जंग तो ख़त्म हो गई है और अब शांति आ गई है। इस व्यक्ति ने अपना परिचय देते हुए कहा कि वो कमांडो फ़ोर्स से है जो कथित तौर पर तालिबान का स्पेशल सर्विसेज़ ग्रुप है। कहा जाता है कि ये फ़ोर्स एयरपोर्ट से लेकर देश के हर हिस्से में मौजूद है और इन्हें सबसे अच्छा प्रशिक्षण दिया गया है।

पहली बार आम तालिबान सदस्य से आमने-सामने बातचीत
आमतौर पर तालिबान से हमारी मुलाक़ात या तो होटल की लॉबी में होती है या फिर एयरपोर्ट के बाहर और शहर में काम करते हुए कहीं किसी रास्ते में, लेकिन शांत माहौल में आमने-सामने बैठकर बात करने का यह पहला मौक़ा था।

जब तालिबान के उस सदस्य ने हमारा पूरा परिचय लिया कि हम कहां से आए हैं, क्या करते हैं आदि, तो हमने भी कुछ सवाल पूछ लिए।

आप कहां के रहने वाले हैं, कब से जंग लड़ रहे हैं? इस पर उन्होंने जवाब दिया कि मैं 25 साल का हूं और मैं पिछले 11 सालों से अफ़ग़ानिस्तान में हूं। मेरा जन्म पाकिस्तान में हुआ था और वहां मैंने नौशेरा के एक मदरसे से क़ुरान हिफ़्ज़ (पूरा क़ुरान बिना देखे याद करना) किया।

उन्होंने आगे कहा कि ऐसा नहीं है कि अफ़ग़ान सेना ने लड़ाई नहीं लड़ी। वो बहुत अच्छी तरह से लड़े। लेकिन फिर उन्होंने हमें आत्मसमर्पण करने वाले सैनिकों की तस्वीरें और वीडियो दिखाए और हमें बताया कि कैसे गवर्नर के आत्मसमर्पण के बाद, अफ़ग़ान सेना भी प्रतिरोध ख़त्म कर देती है।

अमेरिकी हमले बंद होने से आसान हुई लड़ाई
उसने आगे बताया, ये क़ब्ज़ा जो आप देख रहे हैं वह इतनी आसानी से नहीं हुआ है। अफ़ग़ान सेना के साथ हमारी ज़बरदस्त लड़ाई हुई है, लेकिन जब अमेरिकी हवाई हमले बंद हुए, तो हमारे लिए ज़मीनी लड़ाई आसान हो गई।

उनका दावा था कि ISIS को अमेरिका का समर्थन प्राप्त है। उन्होंने कहा कि वह (अमेरिका) हम पर हमला करता था, लेकिन उसी इलाके में जब आईएसआईएस वाले हमसे लड़ रहे होते, तो वह उन पर बमबारी नहीं करता था।

जब मैंने उनसे पूछा कि वह पिछले 13 सालों में किन इलाक़ों में लड़े और कैसे रहते थे, ज़िंदगी कैसे गुज़री, तो उस कमांडर ने बताया कि वह काबुल और दूसरे शहरों में अपना भेष बदलकर रहते थे। मैंने छोटी-छोटी दाढ़ी रखी हुई थी। कभी हम मस्जिद में रहते थे और कभी किसी मदरसे में।

ये लड़ाका लोग़र प्रांत का रहने वाला था। उसने मुझे बताया कि वह अब तक पांच बार गंभीर रूप से घायल हो चुका है और उसने तीन बार अमेरिकियों पर आत्मघाती हमला करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला।

तालिबान लड़ाके ने बताया कि वह लोगर में एनडीएस (पिछली सरकारी ख़ुफ़िया एजेंसी) की वांटेड लिस्ट में थे। तालिबान के क़ब्ज़े के बाद, उसने एनडीएस के कार्यालय में अपनी तस्वीरें देखीं थी।

हम जंग के लिए पैसे नहीं लेते
उसने हमें बताया कि वह सुसाइड जैकेट, एंटी-पर्सनल माइंस, एंटी-व्हीकल माइंस, सब कुछ बना सकता है। वह हमसे बात करते हुए लगातार हमें अपने फोन पर वीडियो दिखा रहा था।

उसने आगे कहा, हम जंग करने के लिए पैसे नहीं लेते हैं। मैं कीनू के बग़ीचे में काम करता था और जो दस हज़ार मिलता था उसे भी जिहाद पर लगा देता था। उसने कहा कि वह फ़लस्तीन जाना चाहता है, चाहे पैदल चलकर ही क्यों न जाना पड़े। ज

ग के बारे में उन्होंने यह भी बताया कि हम घंटों पैदल चलते थे और अगर घायल होते, तो कई-कई दिनों तक हमारी मरहम पट्टी नहीं हो पाती थी। उसने कहा कि तालिबान को बहुत सारे ऐसे हथियार मिले हैं, जो बिल्कुल नए हैं। हमें बड़ी मात्रा में पैक्ड हथियार मिले हैं। गाड़ियां और टैंक मिले हैं। इतना सामान है कि आप सोच भी नहीं सकते।

पहले, अगर किसी चेक पॉइंट पर हमला करना होता था, तो मेरे पास एक पुरानी सी-बाइक होती थी, एक पुरानी सी- कलाश्निकोव, सिर्फ दो मैगज़ीन और कलाश्निकोव का सेफ़्टी कैच भी ख़राब होता था। लेकिन अब मेरे पास फ़ोर व्हीलर गाड़ी है, एक मोबाइल है, पैसे हैं। लेकिन मैं इसे अपने लिए इस्तेमाल नहीं करता।

मैंने उससे पूछा कि क्या उसकी शादी हुई है। उनका जवाब था, पहले हम छुप-छुपकर परिवार के पास जाते थे, लेकिन अब घर वाले मेरे लिए रिश्ता ढूंढ रहे हैं।
ये भी पढ़ें
अफगानिस्तान: तालिबान राज में मीडिया पर सेंसरशिप का आगाज