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Written By BBC Hindi
Last Updated : शुक्रवार, 8 नवंबर 2019 (10:41 IST)

कालापानी को भारत में दिखाने से नेपाल क्यों हुआ नाराज़

कालापानी को भारत में दिखाने से नेपाल क्यों हुआ नाराज़ - Nepal angry over Kalapani
ज़ुबैर अहमद (बीबीसी संवाददाता)
 
अभी कुछ दिन पहले यानी 31 अक्टूबर को भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर और लद्दाख़ को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद औपचारिक रूप से देश का एक नक़्शा जारी किया। इस नक़्शे में उत्तराखंड और नेपाल के बीच स्थित कालापानी और लिपु लेख इलाक़ों को भारत के अंदर दिखाया गया है।
 
भारत का कहना है कि इसमें कुछ नया नहीं है। नया केवल जम्मू-कश्मीर और लद्दाख़ को एक राज्य के बजाय दो केंद्रीय प्रशासित इलाक़े दिखाए गए हैं। लेकिन नेपाल का दावा है कि ये इलाक़े इसके हैं। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज़ में कहा कि नेपाल सरकार बहुत स्पष्ट है कि कालापानी नेपाल का क्षेत्र है'।
 
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि हमारे नक्शे में भारत के संप्रभु क्षेत्र का सटीक चित्रण है और पड़ोसी के साथ सीमा को संशोधित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि नए नक्शे में नेपाल के साथ भारत की सीमा को संशोधित नहीं किया गया है। नेपाल के साथ सीमा परिसीमन अभ्यास मौजूदा तंत्र के तहत चल रहा है। हम अपने करीबी और मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों के साथ बातचीत के माध्यम से समाधान खोजने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को एक बार फिर दोहराते हैं।
 
सर्वेयर जनरल ऑफ़ इंडिया के लेफ़्टिनेंट जनरल गिरीश कुमार के अनुसार इस साल का मैप पिछले सालों से केवल एक जगह अलग है और वो है जम्मू-कश्मीर और लद्दाख़ में, क्योंकि 31 अक्टूबर से ये 2 केंद्रीय प्रशासित इलाक़े बन गए हैं। उनके अनुसार सीमा में 1 मिलीमीटर का भी बदलाव नहीं किया गया है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख़ में जो चेंज हुआ है, वही नया है बाक़ी नक़्शे में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
 
गिरीश कुमार ने आगे कहा कि जब भी कोई नया राज्य बनता है, जैसे कि 2014 में तेलंगाना बना या कोई नया ज़िला बनता है तो 'हमें मैप में दिखाना पड़ता है'। लेकिन नेपाल के विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत ने ये मैप या नक़्शा एकतरफ़ा तरीक़े से जारी किया है और ऐसा करने का इसे कोई अधिकार नहीं।
 
विदेश मंत्रालय के प्रेस रिलीज़ में नेपाल सरकार ने अपना पक्ष सामने रखा है। उनके अनुसार कि कालापानी एक विवादित इलाक़ा है। इसे द्विपक्षीय रूप से हल करना होगा। एकतरफ़ा संकल्प नेपाल को स्वीकार्य नहीं है। नेपाल ऐतिहासिक दस्तावेज़ों और सबूतों के आधार पर कूटनीतिक रूप से इस मुद्दे को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है।
 
नेपाल का दावा है कि कालापानी और लिपु लेख को उसने तत्कालीन ईस्ट इंडिया कंपनी से एक समझौते के अंतर्गत हासिल किया था। लेकिन सर्वेयर जनरल ऑफ़ इंडिया गिरीश कुमार कहते हैं कि ये हमने एकतरफ़ा तरीक़े से नहीं प्रकाशित किया है। हम हर साल मैप निकालते हैं। आप 2018 या इससे पहले का मैप देख लीजिए, कालापानी भारत में नज़र आएगा।
 
नेपाल के अधिकारियों के अनुसार कि भारत ने 1962 में चीन से हुए युद्ध के बाद अपनी सभी सीमा चौकियों को नेपाल के उत्तरी बेल्ट से हटा लिया था, लेकिन कालापानी से नहीं। और लेपु लेख को लेकर 2014 में विवाद उस समय शुरू हुआ, जब भारत और चीन ने नेपाल के दावे का विरोध करते हुए लिपु लेख के माध्यम से द्विपक्षीय व्यापार गलियारे का निर्माण करने पर सहमति जताई थी। नेपाल ने ये मुद्दा चीन और भारत दोनों से उठाया था लेकिन इस पर कभी औपचारिक रूप से चर्चा नहीं हो सकी है।
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