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Written By BBC Hindi
Last Modified: गुरुवार, 24 सितम्बर 2020 (16:19 IST)

दीपिका पादुकोण की व्हाट्सऐप चैट बाहर कैसे आई होगी?

दीपिका पादुकोण की व्हाट्सऐप चैट बाहर कैसे आई होगी? - How Deepika Padukone's WhatsApp chat came out
- सर्वप्रिया सांगवान
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच अब बॉलीवुड में ड्रग्स की जांच तक जा पहुंची है और इस पूरे प्रकरण में केस से संबंधित लोगों की व्हाट्सऐप चैट भी मीडिया में लीक हुई। हाल ही में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की एक व्हाट्सऐप चैट मीडिया में दिखाई जा रही है, जहां कथित तौर पर वे किसी से ड्रग्स मांगते दिख रही हैं।

साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि ये चैट कुछ साल पुरानी है जो डिलीट हो चुकी थी, लेकिन जांच एजेंसियों ने उसे हासिल कर लिया। पर ये संभव कैसे हुआ? क्या ये जानकारी ख़ुद व्हाट्सऐप ने जांच एजेंसियों से शेयर की या किसी और तरीक़े से ये चैट मीडिया में पहुंची? और व्हाट्सऐप प्राइवेसी को लेकर जो दावे करता है, क्या उन पर ख़रा उतरता है?

क्या व्हाट्सऐप मैसेज स्टोर करता है?
व्हाट्सऐप की प्राइवेसी पॉलिसी के मुताबिक़, कंपनी सामान्य तौर पर यूज़र के मैसेज नहीं रखती। एक बार अगर यूज़र का मैसेज डिलीवर हो गया, तो वो उनके सर्वर से डिलीट हो जाता है। अगर कोई लोकप्रिय वीडियो या फ़ोटो बहुत सारे यूज़र शेयर कर रहे हैं तो कंपनी अपने सर्वर में उसे लंबे वक़्त तक रख सकती है।

यूज़र के मैसेज एनक्रिप्टेड होते हैं जिसका मतलब है कि एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस तक मैसेज पहुंचने के बीच व्हाट्सऐप या कोई थर्ड पार्टी उसे नहीं पढ़ सकती। यूज़र की परफ़ॉर्मेंस संबंधित जानकारी भी व्हाट्सऐप इकट्ठी करता है। जैसे यूज़र व्हाट्सऐप को कैसे इस्तेमाल करता है, कैसे दूसरों से संवाद करता है।

व्हाट्सऐप आपकी जानकारी एकत्र कर सकता है, इस्तेमाल कर सकता है, उसे स्टोर कर सकता है और शेयर भी कर सकता है, अगर उसे लगता है कि ये इन मामलों में ज़रूरी है:

1) किसी क़ानूनी प्रक्रिया के लिए, सरकार की अपील पर।
2) अपने नियमों को लागू करने के लिए या किसी और नियम या नीति को लागू करने के लिए, किसी उल्लंघन की जांच के लिए।
3) किसी धोखाधड़ी या ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि का पता लगाने के लिए, जांच के लिए, बचाव के लिए, सुरक्षा और तकनीकी वजह से।
4) अपने यूज़र्स, व्हाट्सऐप, फ़ेसबुक की कंपनियों के अधिकारों और संपत्ति की रक्षा के लिए, उनकी सुरक्षा के लिए।

तो व्हाट्सऐप कहता है कि वो सर्विस देने के सामान्य क्रम में तो मैसेज स्टोर नहीं करता, लेकिन विशेष परिस्थितियों में वो ऐसा कर सकता है और उसे शेयर भी कर सकता है।

कैसे सामने आ रही हैं व्हाट्सऐप चैट?
बॉलीवुड के ड्रग्स मामले में चैट लीक होने के तीन पहलू हैं:
- पहला, ये लीक कैसे हो रही हैं?
- दूसरा, लीक होना क़ानूनन सही है या नहीं।
- तीसरा, व्हाट्सऐप की जो सुरक्षा प्रणाली है वो ग्राहकों के लिए ठीक है या नहीं?

व्हाट्सऐप का एनक्रिप्शन सिर्फ़ एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक है यानी एक फ़ोन से दूसरे फ़ोन पर व्हाट्सऐप के ज़रिए भेजा जाने वाला कोई मैसेज व्हाट्सऐप या कोई तीसरी सरकारी या ग़ैर-सरकारी पार्टी नहीं पढ़ सकती।लेकिन उसके बाद मैसेज दोनों मोबाइल डिवाइस में रहता है। वहां से डिलीट होने के बाद भी मैसेज को निकाला जा सकता है। कैसे?

कई बार व्हाट्सऐप में यूज़र ने आर्काइव का विकल्प रखा होता है जिससे उनकी चैट गूगल ड्राइव या फ़ोन की किसी ड्राइव में स्टोर हो जाती है। उन्होंने चैट बैकअप का विकल्प भी रखा होता है जिससे वो चैट फ़ोन में मौजूद होती है।

साइबर एक्सपर्ट विराग गुप्ता कहते हैं कि फ़िलहाल इस ड्रग्स मामले में कई गिरफ्तारियां हो रही हैं, पूछताछ हो रही है। अब तक तो यही लग रहा है कि इन्हीं लोगों के मोबाइल डिवाइस से चैट्स के स्क्रीनशॉट लिए गए हैं या उन्हें फ़ोन की ड्राइव से निकाला गया है।

क्या जांच एजेंसियों से जानकारी साझा की जा सकती है?
लंदन के साइबर क़ानून एक्सपर्ट याइर कोहेन ने बीबीसी को बताया कि ऐसा कोई सबूत नहीं है कि व्हाट्सऐप अपनी प्राइवेसी पॉलिसी के उलट मैसेज स्टोर करता है। ज़्यादातर जो लीक्स होते हैं, वो व्हाट्सऐप की सुरक्षा में सेंध से नहीं, बल्कि थर्ड पार्टी के क़ानूनी या गैर-क़ानूनी तरीक़े से जानकारी हासिल करने से होते हैं।

विराग गुप्ता कहते हैं कि जांच एजेंसियां व्हाट्सऐप से भी ये चैट ले सकती हैं, लेकिन उसकी एक प्रक्रिया है और जांच एजेंसियां डेटा लेने के लिए अधिकृत भी हैं। साथ ही डेटा कैसे उन तक पहुंचा, ये उन्हें चार्जशीट में बताना भी पड़ेगा।

जहां तक व्हाट्सऐप की पॉलिसी की बात है तो एक जगह लिखा है कि वे किसी जांच एजेंसी की अपील पर किसी व्यक्ति के मैसेज स्टोर भी कर सकते हैं और शेयर भी कर सकते हैं, अगर तब तक यूज़र ने मैसेज उनकी सर्विस से डिलीट नहीं किए हैं तो।

जांच एजेंसियों पर लीक को लेकर क़ानूनी कार्रवाई हो सकती है?
इन्फ़ॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 का सेक्शन-72 कहता है कि इस क़ानून के तहत जिस व्यक्ति को किसी का इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड, क़िताब, जानकारी, दस्तावेज़ रखने की शक्ति दी गई है और वो उसकी सहमति के बिना किसी और को ये सब दे देता है तो उसे दो साल तक की सज़ा या एक लाख रुपए जुर्माना या दोनों भी हो सकते हैं।

विराग कहते हैं कि ये जो सारी चैट मीडिया में प्रसारित की जा रही हैं, ये उस व्यक्ति की निजता का उल्लंघन तो हैं ही, साथ ही दूसरे लोगों की सुरक्षा से जुड़ा मामला भी है क्योंकि एक व्यक्ति के मोबाइल में अन्य कई लोगों की सूचनाएं शामिल होती हैं।

उनका तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट और अनेक हाई कोर्टों ने बोला है कि जांच एजेंसियां जांच के दौरान महत्वपूर्ण सबूतों को या जांच के जो पड़ाव हैं, उनको सार्वजनिक नहीं कर सकतीं, क्योंकि ऐसा करने से केस भी कमज़ोर होता है और ये भारतीय दंड संहिता के तहत ग़लत है।

व्हाट्सएप चैट क्या कोर्ट में सबूत के तौर पर दाखिल की जा सकती है?
एविडेंस एक्ट के सेक्शन-65(बी) के मुताबिक़, व्हाट्सऐप चैट को सबूत के तौर पर कोर्ट में दाखिल किया जा सकता है, लेकिन एक हलफ़नामे के साथ कि इसके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है।

विराग गुप्ता कहते हैं कि सिर्फ़ चैट के आधार पर कोई अपराध साबित नहीं किया जा सकता। किसी को दोषी साबित करने के लिए दूसरे प्रमाण भी देने पड़ते हैं।साथ ही ये भी बताना पड़ता है कि ये चैट किस तरह से जांच एजेंसी को मिली यानी इस चैट का स्रोत अधिकृत है या अनाधिकृत।

ये भी देखा जाता है कि इसे हासिल करने में प्रक्रिया का पालन किया गया या नहीं।
पिछले साल बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक फ़ोन टैपिंग मामले में ऐसा ही फैसला सुनाया था।

एक बिज़नेसमैन पर रिश्वत केस में चल रही सीबीआई जांच में केंद्र सरकार ने फ़ोन टैपिंग की इजाज़त दे दी थी। लेकिन कोर्ट ने इस सबूत को यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि ये ग़ैर-क़ानूनी है और फ़ोन टैपिंग किसी पब्लिक इमरजेंसी या पब्लिक सेफ़्टी के लिए ही की जा सकती है। इस केस में ये फ़ोन टैपिंग निजता का उल्लंघन है।

व्हाट्सऐप प्राइवेसी के मामले में कितना सुरक्षित?
व्हाट्सऐप लॉ क़िताब के लेखक और साइबर क़ानून के जानकार पवन दुग्गल कहते हैं कि अगर व्हाट्सऐप की प्राइवेसी पॉलिसी को ध्यान से पढ़ा जाए तो पता चलेगा कि जो भी आप जानकारी वहां दे रहे हैं, वो पब्लिक जानकारी है और उस पर कोई निजता का अधिकार लागू नहीं होता है। वे कहते हैं कि व्हाट्सऐप को हैक करना भी मुश्किल नहीं है।

वहीं मुंबई के साइबर मामलों के जानकार प्रशांत माली कहते हैं कि अगर कोई सरकारी एजेंसी यूज़र पर निगरानी रख रही है तो व्हाट्सएप यूज़र को कोई अलर्ट या चेतावनी नहीं देता है। अगर कोई जासूसी कंपनी भी यूज़र के व्हाट्सऐप में स्पाईवेयर डाल दे तो यूज़र को पता नहीं चलेगा।

जैसे पिछले साल ही ख़बरें थीं कि इसराइली कंपनी ने पेगासास नाम का स्पाईवेयर कई व्हाट्सऐप अकाउंट में इंस्टाल कर दिया था और दुनियाभर में इस पर चर्चा हुई थी।प्रशांत कहते हैं, प्राइवेसी को लेकर व्हाट्सऐप की एक ही ख़ास बात है कि मैसेज एनक्रिप्टेड होते हैं लेकिन आजकल तो ये बहुत कंपनियां दे रही हैं। एटीएम कार्ड भी ऐेसे होते हैं।

साथ ही व्हाट्सऐप आपका मेटाडेटा जैसे कि आप व्हाट्सऐप में क्या करते हैं, किसे क्या भेजते हैं, आपकी क्या पसंद है, किस ग्रुप के मेंबर हैं, ये सब व्हाट्सऐप कई दिनों तक रखता है और फ़ेसबुक इंस्टाग्राम के साथ साझा भी करता है। तो एक तरह से यूज़र की प्रोफाइलिंग करता है।

पवन कहते हैं कि जब-जब जांच एजेंसियां कोई विवरण मांगती हैं और व्हाट्सऐप के पास उपलब्ध होता है, तो वो अक्सर देता भी है। अगर कोई यूज़र अपनी निजता के उल्लंघन को लेकर कोई क़ानूनी कार्रवाई भी करना चाहे तो व्हाट्सऐप कैलिफ़ोर्निया की अदालतों के दायरे में आता है, भारत की नहीं। इसके नियम व शर्तें भी इतने विशाल हैं कि वो भी चुनौतियां पैदा करते हैं।

वो कहते हैं, अगर आप कोई गोपनीय जानकारी साझा करना चाहते हैं तो व्हाट्सऐप एक अच्छा प्लेटफॉर्म नहीं है। वो आपकी गोपनीय जानकारी को भी सार्वजनिक जानकारी मानता है।

विराग गुप्ता एक महत्वपूर्ण बिन्दु उठाते हुए कहते हैं, व्हाट्सऐप बिना कोई पैसा लिए ग्राहकों को सर्विस दे रहा है, तो जो व्हाट्सऐप का अरबों डॉलर का मूल्यांकन है वो पूरा का पूरा डेटा आधारित ही है। मतलब उसके पास बेचने के लिए डेटा ही तो है और वहीं से उसे फ़ायदा होता है। तो ऐसी कंपनियां जो थर्ड-पार्टी के साथ डेटा शेयर करती हैं, उन्हें आप पूरी तरह सुरक्षित नहीं मान सकते। व्हाट्सऐप की फेसबुक जैसे ऐप के साथ साझेदारी है, उसमें गुजाइंस है कि लोगों की सूचनाएं लीक हो रही होंगी।

क्या व्हाट्सऐप से लोगों का भरोसा डगमगा जाएगा?
पवन कहते हैं कि भरोसा अभी तुरंत नहीं डगमगाएगा क्योंकि भारत में लोग एक क्रांति के दौर से गुज़र रहे हैं। हर भारतीय अपनी जानकारी साझा कर रहा है चाहे वो निजी जानकारी हो, प्रोफ़ेशनल जानकारी हो या सोशल जानकारी हो। लोगों को पता नहीं है कि ये जो जानकारी वे साझा कर रहे हैं, उसका क़ानूनी प्रभाव क्या पड़ेगा। तो ऐसे केस तो सामने आ रहे हैं, लेकिन वो जनता के दिमाग़ में कोई घंटी नहीं बजा रहे।

दुग्गल कहते हैं, उन्हें लगता है कि ये बड़े लोग हैं, इनकी तो चैट पकड़ सकते हैं, मेरी कोई क्यों पकड़ेगा। ये जो ग़लतफहमी है इसकी वजह से लोग इस प्लेटफॉर्म को इस्तेमाल करते जाएंगे। लोग जो व्हाट्सऐप इस्तेमाल करते हैं, वे इसके नियम व शर्तें नहीं पढ़ते।

भारत में निजता का अधिकार
पवन दुग्गल कहते हैं कि भारत के साइबर क़ानून निजता को लेकर बहुत टिप्पणी नहीं करते। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस पुट्टास्वामी बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया मामले में यह स्पष्ट किया था कि निजता का अधिकार हमारा मौलिक अधिकार है।

पर वे इसके लागू होने में समस्या की तरफ़ भी इशारा करते है। वे कहते हैं, लेकिन भारत के पास निजता विशिष्ट क़ानून नहीं है। यहां तक कि डेटा की सुरक्षा संबंधित क़ानून भी नहीं है। सरकार भी निजता को तवज्जो नहीं देती। भारत को ज़रूरत होगी कि साइबर सुरक्षा और निजता की सुरक्षा का क़ानून लाया जाए और जो सर्विस प्रोवाइडर हैं, उनकी ज़िम्मेदारियों को भी फिर से परिभाषित किया जाए।
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