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Written By BBC Hindi
Last Updated : शुक्रवार, 31 जनवरी 2020 (09:36 IST)

कोरोना वायरस से संक्रमण का सबसे ज़्यादा ख़तरा किन्हें है?

Corona virus | कोरोना वायरस से संक्रमण का सबसे ज़्यादा ख़तरा किन्हें है?
इमरान कुरैशी (बेंगलुरु से बीबीसी हिन्दी के लिए)
 
केरल में चीन से लौटे जिस छात्र में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्ट हुई है उसकी हालत स्थिर बनी हुई है। ये भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण का पहला मामला है। लेकिन केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा का कहना है कि मरीज़ को त्रिशूर अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड (एकांत वार्ड) में रखा गया है और उसकी हालत स्थिर है।
केरल में कोरोना वायरस की मौजूदा स्थिति ये है-
 
केरल में क़रीब 1053 लोगों को निगरानी में रखा गया है
24 सैंपल पुणे भेजे गए
15 सैंपल निगेटिव मिले
1 सैंपल पॉज़िटिव
गुरुवार को 7 मरीज़ भर्ती
अलग-अलग अस्पतालों में चल रहा है 15 लोगों का इलाज
 
केरल में अधिकारियों ने अलग-अलग अस्पतालों में क़रीब 15 आइसोलेशन वार्ड में मरीज़ों को रखा है और क़रीब 1,053 लोग निगरानी के तहत हैं। चीन से फैले इस वायरस की वजह से अब तक क़रीब 170 लोगों की मौत हो चुकी है।
 
केरल सरकार ने पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी को 24 सैंपल भेजे थे जिसमें से 1 पॉज़िटिव निकला जबकि 15 निगेटिव। त्रिशूर के अस्पताल में जांच के लिए दिए गए 3 सैंपलों की रिपोर्ट आनी अभी बाकी है।
एक अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बीबीसी से कहा कि लोग समूहों में नहीं आ रहे हैं। वे अलग-अलग हवाई अड्डों पर 1-1 या 2-2 की संख्या में आ रहे हैं लेकिन अगर उनमें बुखार या संक्रमण का कोई भी लक्षण दिखाई दे रहा है तो तुरंत उन्हें जांच के लिए भेजा जा रहा है और फिर निगरानी में रखा जा रहा है।'
 
केरल के कई छात्र चीन में पढ़ाई कर रहे हैं। चीन के वुहान यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ़ मेडिसीन में पढ़ाई कर रहे 56 छात्रों को वापस लाया जाना है।
 
इससे 1 दिन पूर्व डॉ. शैलजा ने छात्रों को वापस लाए जाने पर फ़ैसला केंद्र सरकार पर छोड़ दिया था। हालांकि इन छात्रों को चीन में पहले से ही एकांत में ठहराया गया था। एकांत में रखे जाने के पीछे कारण यह है कि वायरस संपर्क में आने पर तेज़ी से फैलता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से भी भारत में पहले कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि की गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने दिल्ली में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण का पहला मामला सामने आने के बहुत पहले से ही हम यह सुनिश्चित करने में लगे हुए हैं कि इसका पूरा निदान और इलाज हो।
 
डॉ. शैलजा ने केरल के सभी सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ सभी निजी अस्पतालों को भी कोरोना वायरस के संक्रमण के लक्षण वाले मरीज़ों को निगरानी में रखने के लिए कहा है।
 
इस बीच केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि एहतियात के तौर पर ये क़दम उठाए जाने ज़रूरी थे, क्योंकि यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में फैल सकता है। हालांकि उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि केरल पहले भी इस तरह की स्थिति से निपट चुका है।
 
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन यह बात निपाह वायरस के संदर्भ में कह रहे थे जिससे हज़ारों लोग संक्रमित हुए थे लेकिन मज़बूत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की मदद से उस संक्रमण को महज़ 42 दिनों में नियंत्रित कर लिया गया था।
 
बेंगलुरु स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज़ में वायरोलॉजी प्रोफ़ेसर वी. रवि ने बीबीसी को बताया कि हमने सार्स के साथ-साथ निपाह वायरस के दौरान भी स्थिति को बहुत अच्छे से संभाला था। जिस भी व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण नज़र आए, उन्हें पूरी तरह निगरानी में रखा गया और इलाज किया गया।
हालांकि डॉ. रवि यह ज़रूर कहते हैं कि संक्रमण के 60 से 70 फ़ीसदी मामलों में संक्रमित व्यक्ति में कोई गंभीर लक्षण (कमज़ोरी) नज़र नहीं आता है लेकिन बुजुर्गों, मधुमेह पीड़ित और अन्य दूसरी बीमारियों से जूझ रहे लोगों में यह ज़रूर गंभीर तौर पर असर दिखाता है।
 
डॉ. रवि कहते हैं कि अभी जबकि संक्रमण की स्थिति है तो मानक तौर पर अगर किसी में संक्रमण के लक्षण नज़र आ रहे हैं तो उससे एकांत में रखें और इसके साथ ही भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाने से परहेज़ करें।
भारत सरकार की एडवाइजरी
 
केंद्र सरकार ने आज चीन से लौट रहे लोगों के लिए ट्रेवल एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी के मुताबिक चीन से लौटने पर 14 दिनों तक-
 
घर में अलग-थलग रहें
अलग कमरे में रहें
केवल परिवार से संपर्क में रहें, बाहर आने जाने वालों से संपर्क न करें।
भारत में चिंता
 
इसके पहले सरकार ने दिल्ली समेत देश के 7 हवाई अड्डों पर थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था की ताकि अगर चीन या हांगकांग से लौटे किसी शख़्स में संक्रमण के असर दिखते हैं तो उसकी तुरंत जांच कराई जा सके।
 
भारत में नेशनल सेंटर फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल के डायरेक्टर डॉ. सुजीत कुमार सिंह ने बीबीसी को बताया कि यह वायरस मर्स और सार्स वायरस की तरह जानवरों से ही आया है। 10 से 20 दिनों के भीतर ही यह वायरस 40 से 550 लोगों को संक्रमित कर चुका है। जो वायरस अब तक चीन तक ही सीमित था वो अब 5-6 देशों तक भी पहुंच चुका है।
 
वो कहते हैं कि यह वायरस अमेरिका तक पहुंच चुका है तो हमारे देश के लोग भी चीन की यात्रा करते हैं। क़रीब 1,200 मेडिकल स्टूडेंट चीन में पढ़ाई कर रहे हैं जिसमें से ज़्यादातर वुहान प्रांत में ही हैं। ऐसे में अगर वे वहां से लौटते हैं तो इस वायरस के भारत में आ जाने की आशंका बहुत बढ़ जाती है।