कुछ साल पहले तक पाकिस्तान की बच्ची मलाला यूसुफ़ज़ई एक छोटे से शहर में अपनी किताबों में डूबी किसी आम बच्ची की तरह थीं, लेकिन पिछले चंद महीनों की घटनाओं ने उसे दुनिया भर में बेहद चर्चित चेहरा बना दिया है।
तालिबानी हमले का निशाना बनी मलाला अपने अनुभवों को एक किताब में उतारने का करार तो पहले ही कर चुकी हैं, अब मलाला पर एक फिल्म भी बनने जा रही है। यह फिल्म भारत में बनेगी और इसके निर्देशक हैं अमजद खान जिन्होंने इससे पहले दो फिल्में बनाई हैं।
अमजद खान ने मलाला पर फिल्म बनाने की पुष्टि करते हुए बीबीसी को बताया कि फिल्म की स्क्रिप्ट तैयार हो चुकी है और प्री प्रोडक्शन काम चल रहा है। ज़ाहिर है सबसे पहले यही सवाल ज़हन में आता है कि मलाला का रोल कौन करेगा?
अमजद खान कहते हैं कि ये एक संवेदनशील फिल्म है और कलाकारों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वे उस बच्ची की पहचान अभी गुप्त रखना चाहेंगे, लेकिन उन्होंने इतना ज़रूर बताया कि जो बच्ची काम करेगी वो भारतीय नहीं है पर दक्षिण एशियाई है, पश्तो बोलती है और अंग्रेज़ी वैसे ही अंदाज़ में बोलती है जैसे मलाला बोलती है और हूबहू मलाला की कॉपी है।
मेल गिब्सन और मोनिका बेलूची से भी बात : फिल्म में काम करने वाले भारतीय कलाकारों के बारे में भी अभी अजमद खुलकर नहीं बोलना चाहते. उनका कहना है कि संवेदनशील मु्द्दा होने के कारण सब कलाकार फिलहाल सामने नहीं आना चाहते।
फिल्म में हॉलीवुड का तड़का भी हो सकता है। निर्देशक अमजद ने बताया है कि हॉलीवुड एक्टर मेल गिब्सन और इटली की अभिनेत्री मोनिका बेलूची के साथ बातचीत चल रही है लेकिन अभी कुछ फाइनल नहीं हुआ है।
इस विषय पर फिल्म बनाने के पीछे सोच पर अमजद कहते हैं कि दरअसल मैं दिखाना चाहता हूं कि तालिबान कैसे काम करता है, पैसे कहां से आते हैं, कैसे आंतक फैलाते हैं। क़ुरान को पता नहीं ये लोग किस तरीके से समझते हैं, शिक्षा के खिलाफ हैं, औरतों को घर से बाहर निकलना मना है क्योंकि औरत अगर पढ़ेगी तो पूरा परिवार पढ़ता है। ये लोग स्वात के बच्चों के गले में बम बांध देते हैं और सिखाते हैं कि जन्नत मिलेगी। माहौल बहुत बुरा है। ये सब चरणबद्ध तरीके से फिल्म में दिखाएंगा।
तो क्या फिल्म का केंद्रबिंदु तालिबान ज़्यादा और मलाला कम है? इस पर अमजद ने बताया कि फिल्म में तालिबान को दिखाने का आधार मलाला को बनाया गया है। उनका कहना है कि मलाला ने हिम्मत दिखाई और वो कर दिखाया जो बाकी कोई नहीं कर पाए। तालिबान का नकाब उतारना मुख्य मकसद है।
'मलाला से फिल्म पर बात नहीं हुई' : क्या इस फिल्म को मलाला या उनके परिवारवालों की रज़ामंदी मिली हुई है? इस पर अमजद खान का कहना है कि मैंने ऐसे तो कोई अनुमति नहीं ली है। मैं अपनी और साथियों की रिसर्च के आधार पर फिल्म बना रहा हूं।
तालिबान के बारे में सारी जानकारी इम्तियाज़ गुल की किताबों से ली है और वो मदद कर रहे हैं। मलाला के परिवार का इससे कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि मैंने उनके रिश्तेदारों से बात की है और उन्हें कोई ऐतराज़ नहीं है। मैं मलाला से भी बात करने की कोशिश कर रहा हूं। फिल्म की ज़्यादातर शूटिंग भारत में ही होगी क्योंकि पाकिस्तान में शूटिंग करना मुश्किल है।
कुछ हिस्सा मध्यप्रदेश में भेड़ाघाट में शूट किया जाएगा जिसे स्वात शहर की तरह दिखाया जाएगा और कुछ हिस्सा राजस्थान और भुज में होगा। बाकी शूटिंग ईरान में होगी जिसे अफगानिस्तान के तौर पर दिखाया जाएगा।
खतरों से खेलना : अमजद खान इससे पहले 'टूमॉरो' फिल्म बना चुके हैं जो दाऊद और छोटा राजन समेत अंडरवर्लड पर आधारित है, लेकिन उसे अब तक सेंसर बोर्ड का सर्टिफिकेट नहीं मिल पाया है।
अमजद कहते हैं कि इस फिल्म में उनकी मदद वरिष्ठ पत्रकार ज्योतिर्मय डे ने की थी जिनकी 2011 में हत्या कर दी गई थी। उनकी पिछली फिल्म 'ले गया सद्दाम' थी, जो तलाक पर आधारित थी जिसके बाद उनके खिलाफ फतवा जारी हुआ था।
तो क्या मलाला और तालिबान जैसे मुद्दे पर फिल्म बनाने पर उन्हें किसी विवाद या सुरक्षा को लेकर चिंता नहीं है. अमजद हंसते हुए कहते हैं कि मुझे मौत से डर नहीं लगता। ऊपर वाले ने तय किया है कब किसको मरना है. हां, मैं ये नहीं चाहता कि मेरे किसी कलाकार को नुकसान पहुंचे। निर्देशक का कहना है कि फिल्म की पहले दिन की कमाई वो स्वात घाटी में मलाला के स्कूल को दे देंगे।