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Written By WD

कर्ज से चा‍हिए मुक्ति, तो जपें ऋणमोचन मंगलस्तोत्र

'ऋणमोचन मंगलस्तोत्र' के पाठ से उतरेगा कर्ज

Manglstotra, | कर्ज से चा‍हिए मुक्ति, तो जपें ऋणमोचन मंगलस्तोत्र
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कर्ज या ऋण शब्द के भीतर कष्ट छुपा होता है। अगर किसी व्यक्ति को कर्ज चुकाना हो तो उसकी पूरी जिंदगी तनाव में गुजर जाती है।

ऋण से मुक्ति पाने के लिए अनेक प्रचलित उपाय में से एक है स्कन्दपुराण में वर्णित ऋणमोचन मंगलस्तोत्र। ऋणमोचन मंगलस्तोत्र का प्रति मंगलवार 11 बार जप करना चाहिए। अगर इसके प्रभाव तेजी से चाहिए तो प्रतिदिन लाल आसन पर बैठकर इसके 3 पाठ भी कर सकते हैं। पेश है ऋणमोचन मंगलस्तोत्र -

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।।ऋणमोचन मंगलस्तोत्रम्।।

मंगलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रद:।
स्थिरामनो महाकाय: सर्वकर्मविरोधक:।।

लोहितो लोहिताश्वश्च सामगानां कृपाकरं।
वैरात्मज: कुंजौ भौमो भूतिदो भूमिनंदन:।।

धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कान्ति समप्रभ।
कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम्।

अंगारको यमश्चैव सर्वरोगापहारक:।
वृष्टे: कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रद:।।

एतानि कुंजनामानि नित्यं य: श्रद्धया पठेत्।
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात् ।।

स्तोत्रमंगारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभि:।
न तेषां भौमजा पीड़ा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्।।

अंगारको महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।
त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय:।।

ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यव:।
भयक्लेश मनस्तापा: नश्यन्तु मम सर्वदा।।

अतिवक्र दुराराध्य भोगमुक्तजितात्मन:।
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।

विरञ्चि शुक्रादिविष्णुनां मनुष्याणां तु कथा।
तेन त्वं सर्वसत्वेन ग्रहराजो महाबल:।।

पुत्रांदेहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गत:।
ऋणदारिद्रयं दु:खेन शत्रुणां च भयात्तत:।।

एभिद्वादशभि: श्लोकैर्य: स्तुति च धरासुतम्।
महतीं श्रियमाप्नोति ह्यपरा धनदो युवा:।

।। इति श्रीस्कन्दपुराणे भार्गवप्रोक्त ऋणमोचन मंगलस्तोत्रम् ।।