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जानिए मंगल ग्रह कैसे देगा शुभ असर...

जानिए मंगल ग्रह कैसे देगा शुभ असर... - mangal Planet
मंगल ग्रह का प्रभाव और उपाय 


 

पुराणों के अनुसार मंगल  :- 
 
वामन पुराण के अनुसार मंगल की उत्पत्ति तब हुई जब भगवान भास्कर धारी भोलेनाथ ने महासुर अंधक का वध किया था। स्कंद पुराण के अनुसार मंगल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के पसीने की बूंद से धरती द्वारा हुई है। महाभारत के अनुसार मंगल का जन्म भगवान कार्तिकेय के शरीर से हुआ था। अधिक का मानना है कि मंगल पृथ्वी पुत्र है। इसका नाम भौम भी है। अत: इसकी उत्पत्ति पृथ्वी से हुई है।

 

लाल किताब के अनुसार मंगल  :- 


 
लाल किताब के अनुसार मंगल नेक और मंगल बद अर्थात शुभ और अशुभ दोनों को अलग-अलग मानते हुए उनके देवता और अन्य सभी बातें अलग-अलग कही गई हैं। हम यहां संक्षिप्त रूप में समझने का प्रयास करते हैं।
 
मंगल नवग्रहों में से एक है। लाल आभायुक्त दिखाई देने वाला यह ग्रह जब धरती की सीध में आता है तब इसका उदय माना जाता है। उदय के पश्चात 300 दिनों के बाद यह वक्री होकर 60 दिनों तक चलता है। बाद में फिर सामान्य परिक्रमा मार्ग पर आकर 300 दिनों तक चलता है। ऐसी स्थिति में मंगल का अस्त होना कहा गया है।
 
 

 


शुभ : मंगल सेनापति स्वभाव का है। शुभ हो तो साहसी, शस्त्रधारी व सैन्य अधिकारी बनता है या किसी कंपनी में लीडर या फिर श्रेष्ठ नेता। मंगल अच्छाई पर चलने वाला है ग्रह है किंतु मंगल को बुराई की ओर जाने की प्रेरणा मिलती है तो यह पीछे नहीं हटता और यही उसके अशुभ होने का कारण है। सूर्य और बुध मिलकर शुभ मंगल बन जाते हैं। दसवें भाव में मंगल का होना अच्छा माना गया है।
 
अशुभ : बहुत ज्यादा अशुभ हो तो बड़े भाई के नहीं होने की संभावना प्रबल मानी गई है। भाई हो तो उनसे दुश्मनी होती है। बच्चे पैदा करने में अड़चनें आती हैं। पैदा होते ही उनकी मौत हो जाती है। एक आंख से दिखना बंद हो सकता है। शरीर के जोड़ काम नहीं करते हैं। रक्त की कमी या अशुद्धि हो जाती है। चौथे और आठवें भाव में मंगल अशुभ माना गया है। किसी भी भाव में मंगल अकेला हो तो पिंजरे में बंद शेर की तरह है। सूर्य और शनि मिलकर मंगल बद बन जाते हैं। मंगल के साथ केतु हो तो अशुभ हो जाता है। मंगल के साथ बुध के होने से भी अच्छा फल नहीं मिलता।
 
 

मंगल के उपाय : - 


 
* क्रोध न करें। 
 
* गुड़ खाना चाहिए। 
 
* हनुमानजी की भक्ति करें। 
 
* मंत्र- ॐ हनुमंते नम: का निरंतर जप करें। 
 
* भाई और मित्रों से संबंध अच्छे रखना चाहिए। 
 
* मंगल खराब की स्थिति में सफेद रंग का सुरमा आंखों में डालना चाहिए।