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Last Updated : शनिवार, 22 जनवरी 2022 (11:52 IST)

वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह का प्रत्येक भाव में प्रभाव

वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह का प्रत्येक भाव में प्रभाव - Effect of planet Sun in every house in Vedic astrology
Surya ka rashiyo me fal: सूर्य ग्रह को वेदों में जगत की आत्मा कहा गया है। ज्योतिष के कुछ ग्रंथों और पुराणों में इन्हीं सूर्य को सूर्य देव से जोड़कर भी देखा जाता है जबकि सूर्य देव का जन्म धरती पर ही हुआ भी माना जाता है। सूर्य ग्रह है या देवता इस में ज्यादा न जाकर ज्योतिष विद्या के अनुसार सूर्य ग्रह को जगत की आत्मा कहा गया है। ज्योतिष में सूर्य को राजा की पदवी प्रदान की गई है। ज्योतिष में सूर्य ग्रह को आत्मा का कारक कहा गया है। इसके चिकित्सीय और आध्यात्मिक लाभ को पाने के लिए लोग प्रातः उठकर सूर्य नमस्कार करते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार रविवार का दिन सूर्य ग्रह के लिए समर्पित है जो कि सप्ताह का एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
 
 
वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह का प्रत्येक भाव में प्रभाव:
1. मेष राशि में जन्मकालीन सूर्य हो तो जातक प्रसिद्ध, चतुर, भ्रमणशील, शस्त्रधारी तथा अल्पधनी होता है। वह साहसी, शासक तथा बुद्धिमान होता है। वह पित्त विकार से कष्ट पाता है।
 
2. वृष राशि में जन्मकालीन सूर्य हो तो जातक सुगंध प्रेमी, संगीत-वाद्य का शौकीन, सुखी-सम्पन्न, जल से भयभीत तथा शास्त्रादि को मानने वाला होता है।
 
 
3. मिथुन राशि में जन्मकालीन सूर्य हो तो जातक गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, किसी भी शास्त्र में पटु, बोलने में चतुर, नीति में निपुण, विदद्वान, ज्योतिषीऔर धनवान होता है।
4. कर्क राशि में जन्मकालीन सूर्य हो तो जातक क्रोधी, पराए कार्य में लीन, यात्रा में शीघ्र थक जाने वाला, चिंतातुर, कभी धन से पूर्ण और कभी धन से हीन होता है।
 
5. सिंह राशि में जन्मकालीन सूर्य हो तो जातक स्थिर बुद्धि, पराकर्मी, प्रभुता सम्पन्न, कीर्तिवान, राज्याधिकारी, साहसी तथा कुछ आलसी या सुस्त होता है।
 
6. कन्या राशि में जन्मकालीन सूर्य हो तो जातक राज्य से धन पाने वाला, प्रिय भाषी, संगीतज्ञ, महान, अपने महत्व से ही शत्रु का नाश कर देने वाला, लेखन-चित्रकारी-काव्य-दर्शन-शास्त्र-गणित अथवा किसी विद्या में निपुण होता है।
 
 
7. तुला राशि में जन्मकालीन सूर्य हो तो जातक भ्रमणशील,नीच कार्य करने वाला, राज्य से भयभीत, धनहीन तथा झगड़ालू होता है।
 
8. वृश्चिक राशि में जन्मकालीन सूर्य हो तो जातक कलह करने वाला, क्रोधी, माता-पिता का विरोधी, क्रूर, साहसी, विश से धन अर्जित करने वाला, युद्ध कला में निपुण तथा विनाशक होता है।
 
9. धनु राशि में जन्मकालीन सूर्य हो तो जातक धनवान, आदरणीय, क्रोधी, डॉक्टर, शिल्पी, बुद्धिमान, अपने परिजनों पर क्रोध करने वाला तथा पराक्रमी होता है।

 
10. मकर राशि में जन्मकालीन सूर्य हो तो जातक भ्रमणशील, अपने समर्थकों तथा विरोधियों दोनों से धन का लाभ पाने वाला, सुखहीन, उत्सवहीन कुल मिलाकर अल्पधनवान, लोभी तथा कुछ-कुछ शूद्र विचार का होता है।
 
11. कुम्भ राशि में जन्मकालीन सूर्य हो तो जातक नीच विचार वाला, धनहीन, तथा संतान से विलग होता है। वह दयाहीन तथा कभी दुखी और कभी सुखी होता है।
 
12. मीन राशि में जन्मकालीन सूर्य हो तो जातक वाणिज्य से अधिक धनी, स्वजनों से सुख पाने वाला, किसी गुप्त महाभय से युक्त, अत्यंत बुद्धिमान तथा विख्यात यशवाला होता है। नौसेना, मर्चेन्ट नेवी, जलीय वस्तु और पेय जल वाले कारोबार में उसे बहुत लाभ होता है।
 
 
मानसागरी के अनुसार सूर्य अपनी नीच राशि में जातक को स्ट्रैण (स्त्रियों जैसा व्यवहार करने वाला) बना देता है। जबकि सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में जातक कोकार्य कुशल, शूर, विद्वान, चतुर, दंडाधिकारी तथा धनवान बनाता है। सूर्य मूल त्रिकोण राशि सिंह में धनी, सुखी तथा कार्य कुशल बनाता है। सूर्य स्वराशि सिंह में उग्रतथा उधधमी बनाता है। सूर्य मित्र राशि में विख्यात, शास्त्र का ज्ञाता तथा दृढ़ मैत्री वाला बनाता है। सूर्य शत्रु राशि में विषय-सुख से हीन करता है।
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