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30 साल बाद दुर्लभ संयोग, शनि जयंती, वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या एक साथ, कर लें ये काम

30 साल बाद दुर्लभ संयोग, शनि जयंती, वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या एक साथ, कर लें ये काम - Shani Jayanti vat savitri vrat and somvati amavasya
ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि यानी कि 30 मई 2022 सोमवार को शनि जयंती, सोमवती अमावस्या व वट सावित्री व्रत तीनों एक ही दिन पड़ रहे हैं। ये तीनों 30 मई सोमवार को है। शनि दोष से मुक्ति और धन समृद्धि प्राप्त करने लिए यह खास दिन है।
 
 
1. इस दिन शनिदेव का जन्म हुआ था। इस दिन उनकी पूजा करने और छाया दान करने तथा शनि का दान करने से शनि की कुंडली से शनि दोष, महादशा, ढैया और साढ़ेसाती की पीड़ा से मुक्ति मिल जाती है।
 
2. वट सावित्री के दिन बरगद की पूजा का महत्व है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और स्वास्थ्य के लिए व्रत रखकर बरगद की पूजा करती हैं। इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग में वट सावित्री की पूजा होगी।
 
3. सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव के साथ ही चंद्रदेव की पूजा करने से सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती है। तब से यह मान्यता है कि सोमवती अमावस्या को पीपल के वृक्ष की पूजा करने से सुहाग की उम्र लंबी होती है। ऐसा माना गया है कि पीपल के मूल में भगवान विष्णु, तने में शिवजी तथा अग्रभाग में ब्रह्माजी का निवास होता है। अत: इस दिन पीपल के पूजन से सौभाग्य की वृद्धि होती है। शिव-पार्वती और तुलसीजी का पूजन कर सोमवती अमावस्या का लाभ उठा सकते हैं। 
 
4. सोमवती अमावस्या के दिन की पितरों को जल देने से उन्हें तृप्ति मिलती है। महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर तीर्थस्थलों पर पिंडदान करने का विशेष महत्व है। 
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