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लग चुका है पंचक, इन 5 दिनों में अति आवश्यक हो कुछ करना, तो करें ये खास उपाय

लग चुका है पंचक, इन 5 दिनों में अति आवश्यक हो कुछ करना, तो करें ये खास उपाय। Panchak 2019 - Panchak 2019
* चल रहा है पंचक काल, जानिए कैसे रहें सावधान?

 
5 फरवरी, मंगलवार की शाम करीब 06.45 मिनट से पंचक शुरू हो चुका है जो ‍10 फरवरी, रविवार की शाम 04.22 मिनट तक रहेगा। भारतीय ज्योतिष के अनुसार मंगलवार को शुरू हुए पंचक को अग्नि पंचक कहते हैं। अत: अग्नि पंचक के दौरान आग लगने का भय अधिक रहता है, इस वजह से इस पंचक को शुभ नहीं कहा जा सकता।

 
ज्ञात हो कि हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार पंचक काल को शुभ नहीं माना जाता है। इस समय किए गए कार्य अशुभ और हानिकारक फल देते हैं, ऐसा माना जाता हैं। अत: इस नक्षत्र का योग अशुभ माना जाता है। इसीलिए पंचक के इन 5 दिनों में विशेष संभलकर रहने की आवश्यकता होती है, अत: पंचक के दौरान कोई भी जोखिमभरा कार्य करने से बचना चाहिए। 
 
साथ ही पंचक के दौरान कोई भी शुभ काम करने से परहेज करना चाहिए। पंचक में यात्रा करना, लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के बड़े सौदे भी नहीं करने चाहिए, क्योंकि इससे धन हानि होने की संभावना रहती है। लेकिन अगर आप पंचक काल के दौरान कुछ विशेष काम करना ही चाहते हैं तो निम्न उपायों को करने के बाद आप अपना कार्य कर सकते हैं। 
 
करें ये उपाय...
 
* अगर इन दिनों घर के मकान की छत डलवाना जरूरी हो तो पहले मजदूरों को मिठाई खिलाएं, उसके उपरांत ही छत डलवाने का कार्य शुरू करें।
 
* अगर घर में शादी का शुभ समय आ गया है और समय की कमी है तब लकड़ी का सामान खरीदना जरूरी हो तो गायत्री हवन करवा कर लकड़ी का फर्नीचर, पलंग तथा अन्य वस्तुएं की खरीदारी कर सकते हैं।
 
* पंचक में अगर ईंधन इकट्ठा करना जरूरी हो तो पंचमुखी दीपक (आटे से निर्मित, तेल से भरकर) शिवजी के मंदिर में जलाएं, उसके बाद ईंधन खरीदें। इस तरह के उपाय करने से आप आनेवाले संकटों से बच सकते हैं तथा पंचक में मिलने वाले अशुभ फलों में कमी आती है।

 
* अगर किसी कारणवश पंचक के दौरान दक्षिण दिशा की यात्रा करना ही पड़ें तो हनुमान मंदिर में 5 फल चढ़ाकर यात्रा शुरू करें।
 
* किसी रिश्तेदारी में शव दहन का समय हो या घर में अचानक किसी की मृत्यु हो गई हो तो पंचक होने के कारण शव दहन के समय 5 अलग पुतले बनाकर उन्हें अवश्य जलाएं। तत्पश्चात दाह संस्कार करें। शास्त्रों के अनुसार मुर्दे का क्रिया कर्म किसी योग्य पंडित से पूछने के बाद ही करना चाहिए।

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