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Last Updated : मंगलवार, 3 अगस्त 2021 (09:35 IST)

आज है मंगला गौरी व्रत, मां पार्वती के 10 शुभ मंत्र और पूजा विधि

आज है मंगला गौरी व्रत, मां पार्वती के 10 शुभ मंत्र और पूजा विधि - mangala gauri vrat 2021
आज श्रावण मास का दूसरा मंगला गौरी व्रत है। श्रावण में आनेवाले सभी मंगलवार को सुहागिन महिलाएं मंगला गौरी माता का व्रत करती है। भगवान शिव को प्रिय श्रावण मास में आने वाला यह व्रत सुख-सौभाग्य से जुड़ा होने के कारण इसे सुहागिन महिलाएं करती हैं। इस व्रत-उपवास को करने का उद्देश्य महिलाओं को अखंड सुहाग की प्राप्ति तथा संतान को सुखी जीवन की कामना करना है। श्रावण के दौरान पड़ने वाले मंगलवार का दिन देवी पार्वती को अत्‍यंत प्रिय होने कारण ही इस दिन मां गौरी का पूजन किया जाता है और इसे मंगला गौरी व्रत कहा जाता है।
 
ज्ञात हो कि रविवार, 25 जुलाई 2021 से श्रावण मास आरंभ हो गया है तथा इस माह की समाप्ति 22 अगस्त 2021 को होगी। आइए जानते हैं मंगला गौरी व्रत के मुहूर्त एवं मंत्र- 
 
मंगला गौरी व्रत 2021 पूजन मुहूर्त
 
* आज 3 अगस्त 2021 को मंगला गौरी व्रत पूजा के लिए ये दोनों ही समय शुभ हैं। पहला दोपहर 12.00 से 12.54 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त। 
* दूसरा दोपहर 02.42 मिनट से 03.35 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा।
 
मंगला गौरी व्रत की तिथियां - 
 
इस बार 4 मंगलवार पड़ रहे हैं। पहला मंगलवार- 27 जुलाई को मनाया गया, वहीं सरा मंगलवार- 3 अगस्त को, तीसरा मंगलवार- 10 अगस्त को,चौथा यानी अंतिम मंगलवार- 17 अगस्त को पड़ेगा।
 
कैसे करें व्रत?
 
* श्रावण मास के दौरान आनेवाले हर मंगलवार को ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठें।
 
* नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे धुले हुए अथवा कोरे (नवीन) वस्त्र धारण कर व्रत करना चाहिए।
 
* मां मंगला गौरी (पार्वतीजी) का एक चित्र अथवा प्रतिमा लें।
 
* फिर- 'मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये।’
 
इस मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लें।
 
अर्थ- ऐसा माना जाता है कि मैं अपने पति, पुत्र-पौत्रों, उनकी सौभाग्य वृद्धि एवं मंगला गौरी की कृपा प्राप्ति के लिए इस व्रत को करने का संकल्प लेती हूं।
 
तत्पश्चात मंगला गौरी के चित्र या प्रतिमा को एक चौकी पर सफेद फिर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित किया जाता है। प्रतिमा के सामने एक घी का दीपक (आटे से बनाया हुआ) जलाएं। दीपक ऐसा हो जिसमें 16 बत्तियां लगाई जा सकें।
 
* तत्पश्चात- 'कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम्। नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्...।।'
 
यह मंत्र बोलते हुए माता मंगला गौरी का षोडशोपचार पूजन करें।
 
माता के पूजन के पश्चात उनको (सभी वस्तुएं 16 की संख्या में होनी चाहिए) 16 मालाएं, लौंग, सुपारी, इलायची, फल, पान, लड्डू, सुहाग क‍ी सामग्री, 16 चूड़ियां तथा मिठाई अर्पण करें। इसके अलावा 5 प्रकार के सूखे मेवे, 7 प्रकार के अनाज-धान्य (जिसमें गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) आदि चढ़ाएं।
 
पूजन के बाद मंगला गौरी की कथा सुनी जाती है।
 
* इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे दिन मां पार्वती की आराधना की जाती है। शिवप्रिया पार्वती को प्रसन्न करने वाला यह सरल व्रत करने वालों को अखंड सुहाग तथा पुत्र प्राप्ति का सुख मिलता है। मंगला गौरी व्रत विशेष तौर पर मध्यप्रदेश, पंजाब, बिहार, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, हिमाचलप्रदेश में प्रचलित है।
 
मां पार्वती को प्रसन्न करने के मंत्र
 
* ॐ शिवाये नम:।
 
* ॐ उमाये नम:।
 
* ॐ पार्वत्यै नम:।
 
* ॐ जगद्धात्रयै नम:।
 
* ॐ जगत्प्रतिष्ठायै नम:।
 
* ॐ शांतिरूपिण्यै नम:।
 
* ॐ साम्ब शिवाय नम:। 
 
* ॐ उमामहेश्वराभ्यां नम:।
 
* ॐ गौरये नम:.
 
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